Climate Change का कौन है ज़िम्मेदार?

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जैसा की आप सभी को मालूम है कि पूरा विश्व 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाता जाता हैं, तो आज से कुछ दिनों तक हम आपके साथ उन चीज़ों पर चर्चा करेंगे जो हमारे आस पास हमेशा होती रहती है मगर हम उससे अनजान बने रहते है। क्लाइमेट क्राइसिस अब उभर कर एक विनाशकारी रूप ले रहा है। और आपको इस इसका अंदाज़ा होगा की हम सब ने किस हद तक अपनी प्रकृति को नुक्सान पहुंचाया है।

विकास की दौड़ में हम इस कदर अपनी गति बढ़ाते रह गए कि हमने पर्यावरण के बारे सोचा ही नहीं। हमने नहीं सोचा तो क्या हुआ प्रकृति ने ही ठान लिया की वह अपने ज़ख्म खुद भरेगी, जिसका नतीजा ये रहा की आज हम सब एक वैश्विक महामारी से जूझ रहे है, अपने-अपने घरों में रह कर ही सही कम से कम हमने थोड़ा समय प्रकृति को तो दिया।

पर्यावरण के नुक़सान का कौन है ज़िम्मेदार?-

ये जो लॉस हुआ है, जो नुक्सान प्रकृति को पंहुचा है इसके ज़िम्मेदार हम सब है। इसके ज़िम्मेदार हमारा कंसम्पशन पैटर्न है, हमारा प्रोडक्शन साइकिल और ऐसी तमाम चीज़ें है। आइये इसे क्रमशः समझने की कोशिश करते है।

1) लैंड यूज़ चेंज-: जैसे-जैसे लोगों की आकांक्षाएं बढ़ी वैसे ही लैंड यूज़ पैटर्न भी बदला। आज पुरे विश्व का 26 प्रतिशत लैंड लाइवस्टॉक ग्रेजिंग के लिए इस्तमाल किया जाता है, वही 33 प्रतिशत ज़मीन फसल उगाने के लिए इस्तमाल की जाती है। deforestation के बारे में हम और आप तो सुनते ही रहते है। इतना होने के बाद भी आज लोगो को और ज़मीन चाहिए ताकि और डेवलपमेंट हो पाए।

2) पशु और पौधों का अत्यधिक दोहन-: मछली पकड़ने, लॉगिंग और वन्यजीवों के अवैध शिकार सहित लोगों द्वारा संसाधनों का अत्यधिक दोहन, जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुका है। आज इस परेशानी की वजह से करीब 30,000 ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त होने के कगार पर है।

3) Climate Emergency-: क्लाइमेट चेंज और एक्सट्रीम वेदर कंडीशंस ने अधिकांश जीव-जंतु के प्राणो को खतरे में दाल दिया है। एक्सपर्ट्स का ऐसा कहना है कि 2050 तक क्लाइमेट चेंज की वजह से करीब 25000 प्रजातियों का जीवन खतरे में आ सकता है।

आपने देखा की मात्र तीन कारणों में कैसे हज़ारों ज़िन्दगियों को खतरे में दाल दिया है, यकीन मानिये ये तीन ही नहीं है बल्कि ऐसे लाखों परेशनियां जिसे हमें एड्रेस करना बहुत ज़रूरी है।

आखिर क्या लगा है दांव पे?

आपको ये जानके हैरानी होगी कि आज हमारे विश्व में करीब 10 लाख ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त होने की कगार पे है, और इसमें से कई ऐसे भी है जिनकी ज़िन्दगी शायद इसी दशक में ख़त्म हो जाए। ये आकड़े आपको बता सकते है की आज हमारी biodiversity पर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। हमारे ecosystem को स्वस्थ और संतुलित रखने में धरती पे पाए जाने वाले हर एक प्रजाति का योगदान होता है। अगर इनके योगदान की पैसों से तुलना की जाए तो इनके योगदान का मूल 120 से 140 ट्रिलियन US डॉलर होता है।

लेकिन इस खतरे के बीच भी एक आशा की लौ जलती दिख रही है, हम इस सारे खतरों से दूर जा सकते है अगर हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों को फिर से परिभाषित कर ले और साथ हो उसकी सुरक्षा के लिए महत्वाकांक्षा और जवाबदेही का बढ़ावा दे। जैसे-जैसे हम लॉकडाउन से बाहर आएंगे हमारी अर्थव्यवस्था के साथ साथ हमारी धरती भी चिंता एक विषय होना चाहिए।

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