जब दहेज में दे दी गई मुंबई ! ऐसा है मायानगरी का दिलचस्प इतिहास…
सपनों का शहर मुंबई जिसे बंबई या बॉम्बे नाम से जाना जाता है। इस शहर को भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। मुंबई को हिंदुस्तान के आर्थिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
वैसे तो मुंबई का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन 17वीं शताब्दी में इस शहर के साथ एक दिलचस्प घटना घटी थी, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे।
दहेज में दे दिया मुंबई-
आप ये बात जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस शहर को दहेज में दे दिया गया था। करीब 350 साल पहले मुंबई को पुर्तगाली शासकों ने ब्रिटिश शासक चार्ल्स द्वितीय को पुर्तगाल की कैथरीन डी ब्रिगांजा से हुई शादी के दौरान दहेज में दे दिया था।
जी हां ! यह सच है। 27 मार्च 1668 को चार्ल्स ने मुंबई का सारा स्वामित्व ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया, जिसके किराए के रूप में हर साल ईस्ट इंडिया कंपनी के सामने 10 पौंड की राशि को जमा करने की शर्त रखी गई।
इतिहासकारों के मुताबिक चार्ल्स के निर्णय के इस दिन को हिंदुस्तान के शहरीकरण के युग की पहली शुरुआत के रूप में जाना जाता है।
मुंबई पर दावा करने में लगे 6 साल-
इतिहासकारों के मुताबिक ब्रिगांजा और चार्ल्स की शादी 31 मई 1662 को हुई थी लेकिन उन्हें दहेज के रूप में मिले मुंबई पर अपना दावा मजबूत करने में करीब 6 साल का वक्त लग गया।
विवाद की वजह पुर्तगाली शासकों और ब्रिटिश लोगों के बीच का वह मतभेद था जिसमें यह तय नहीं हो पा रहा था कि मुंबई के जिस क्षेत्र को दहेज के रूप में दिया गया है, उसका असली स्वरूप क्या है?
कई क्षेत्रों को लेकर थी विवाद की स्थिति-
नक्शे में ठाणे समेत कुछ अन्य इलाकों को मुंबई का हिस्सा बताया गया था, इसके अलावा कुछ अन्य क्षेत्रों को लेकर भी विवाद की स्थिति थी जिस पर आम राय बनाने में करीब 6 साल का वक्त लग गया।
इसके बाद 27 मार्च 1668 को चार्ल्स ने मुंबई पर अपना दावा करते हुए ईस्ट इंडिया कंपनी को इसके मालिकाना हक सौंप दिये।
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