दलित कार्यकर्ता की आत्महत्या: गुजरात सरकार ने मानी प्रदर्शनकारियों की मांगें

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गुजरात के पाटन जिले में दलित कार्यकर्ता भानुभाई वनकर की आत्मदाह से गुस्साए प्रदर्शनकारियों की मांगें राज्य सरकार ने मान ली हैं. इससे पहले इन प्रदर्शनकारियों ने राजधानी गांधीनगर, अहमदाबाद और मेहसाणा समेत राज्य के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए थे, जिसके बाद सरकार और दलित नेताओं के बीच रविवार देर रात यह समझौता हुआ।

सरकार ने मानी ये मांगें

गुजरात सरकार ने पीड़ित परिवार को 3 दिन के भीतर ज़मीन देना और इस पूरे मामलें में एसआईटी गठित करके गहन जांच कराने जैसी मांगों को मान लिया है।

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साथ ही जिस ज़मीन को लेकर यह घटना हुई या फिर इलाके में इस तरह की जितनी भी जमीनों के टाइटल क्लीयर करने बाकी हैं, उन्हें छह महीने के भीतर कार्यवाही निपटाकर दलितों को सौंप दिया जाएगा। सभी मांगें मानी जाने के बाद अब आत्मदाह करने वाले भानु भाई की शव उनका परिवार सोमवार को स्वीकार कर लेगा।

मेवाणी भी हिरासत में

गुजरात पुलिस ने बताया कि वनकर की मौत को लेकर अहमदाबाद में रविवार सुबह आंदोलन कर रहे दलित नेता एवं विधायक जिग्नेश मेवाणी और 70 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिये जाने के बाद ये प्रदर्शन हुए। नगर अपराध शाखा के अधिकारियों ने दावा किया कि मेवाणी ने हिरासत के दौरान पुलिस के साथ सही बर्ताव नहीं किया।

हालांकि, विधायक ने ट्वीट किया कि पुलिस ने उन्हें कार से ‘बेहद गंदे तरीके से’ बाहर खींचा। वनकर (62) ने एक दलित परिवार के लिये जमीन आवंटन की मांग करते हुए 15 फरवरी को पाटन कलेक्टर कार्यालय के बाहर आत्मदाह कर लिया था। बुरी तरह झुलसे वनकर ने अगले दिन अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। बता दें कि पाटन के कलेक्टर दफ्तर के बाहर भानु भाई वणकर ने खुद को आग लगा ली थी, जिसमें वह बुरी तरह से झुलस गए थे। बताया जाता है कि सरकारी योजना द्वारा आवंटित जमीन का कब्जा न मिल पाने के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।

news18

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