विश्वनाथ मंदिर जाने का रास्ता रुका, दर्शनार्थियों की लगी भीड़

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वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर जाने का रास्ताक आज दुकानदारों की ओर से बंद कर दिये जाने से हजारों दर्शनार्थियों को भोले बाबा के दर्शन से वंचित होना पड़ा। इसकी वजह स्था नीय दुकानदारों की ओर से धरना प्रदर्शन बताया जा रहा है। ये दुकानदार मंदिर के गेट नंबर दो पर स्थित मुख्य कार्यपालक अधिकारी कार्यालय के नीचे ज्ञानवापी के दुकानदारों की दुकानें तोड़ी जाने के विरोध में धरना दे रहे थे। जबरदस्त धरना-प्रदर्शन के चलते आवागमन पूरी तरह बाधित रहा।

शुक्रवार रात ज्ञानवापी मैदान में दुकानें तोड़ने के विरोध में आज शाम को विश्वनाथ गली के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में यह धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें मुख्य रूप से अध्यक्ष लल्लन मिश्रा, नवीन गिरी मुन्ना पाठक,सोना लाल सेठ , राम साहू, महेश पटेल, सन्त लाल दुबे, मुकेश बैरागी, भानु मिश्रा आदि थे।

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ज्ञात हो कि संकरी गलियों से जिसे विश्वनाथ गली कहा जाता है, भगवान के मंदिर तक जाया जाता है। यह विश्वनाथ या विश्वेकश्वर मंदिर ”सभी के भगवान” माने जाते हैं और इसके शिखर पर स्व‍र्ण लेपन होने के कारण इसे स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं। यह भारत का सबसे महत्व्पूर्ण शिवलिंग है। यह चिकने काले पत्‍थर से बना हुआ है और इसे ठोस चांदी के आधार में रखा गया है। अविमुक्तेश्वर के लिंग भी इस मंदिर के संकुल में हैं।

वाराणसी को बनारस तथा काशी के नाम से ही जाना जाता है। पवित्र नदी गंगा के किनारे स्थित इस शहर का अत्यंहत धार्मिक महत्वी है। वाराणसी काशी विश्वानाथ मंदिर का घर है जो भगवान शिव को समर्पित है। इसमें बारह ज्योघतिर्लिंगों में से एक स्था पित हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर कई बार बनाया गया। नवीनतम संरचना जो आज यहां दिखाई देती है वह 18वीं शताब्दीै की है। हजारों धार्मिक यात्री यहां पवित्र ज्योवतिर्लिंग के दर्शन करने व अभिषेक के अवसर पर जमा होते हैं। उनपर गंगा जल चढ़ाया जाता है।

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