टेरर फंडिंग है कश्मीर में आतंकवाद की जड़
जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं को पाकिस्तान से आतंकी फंडिंग सालों से होती आ रही है। इस बारे में अब जानकारियां सामने आ रही हैं। यह जानकारियां जितनी रहस्यमय हैं उतनी ही सनसनीखेज भी।
एनआईए के मुताबिक टेरर फंडिंग में पाकिस्तान के उच्चायोग की संलिप्तता सामने आ रही है। यही नहीं पाकिस्तान से मिलने वाली टेरर फंडिंग में हुर्रियत के नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी भी बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान और दुबई से टेरर फंडिंग के नाम पर नसीम गिलानी को भी रकम मिला करती थी।
ज्ञात हो कि बीते जून मास में इंडिया टुडे टेलीविजन चैनल ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें घाटी का एक अलगाववादी नेता कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान से पैसे लेने की बात कबूल करते दिखाई पड़ा था। इसके बाद एनआईए ने पाकिस्तान के कई संगठनों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, दुख्तरान-ए-मिल्लत, हिजबुल मुजाहिदीन तथा हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था । ईडी ने इससे पहले, हवाला के माध्यम से पाकिस्तान द्वारा फंडिंग की जांच के लिए 19 मई को हुर्रियत नेताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच दर्ज की थी।
बाद में मामला सामने आने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अलगाववादी नेताओं और कुछ प्रमुख कारोबारियों के आवासों पर छापेमारी की। ये छापेमारी टेरर फंडिंग के संदर्भ में की गई।
एनआईए सूत्रों के अनुसार एक कश्मीरी कारोबारी जहूर अहमद वटाली को टेरर फंडिंग की रकम दुबई और पाकिस्तान से मिलती थी। उसे यह रकम भारत में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के जरिए हासिल होती थी। एनआईए के मुताबिक वटाली के जरिए ही कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों को गड़बड़ी फैलाने के लिए रकम हासिल होती थी। वह 8 से 9 पर्सेंट तक कमिशन काटने के बाद रकम हुर्रियत के लोगों को ट्रांसफर कर देता था।
पुलिसिया रिकॉर्ड की मानें, तो वटाली को पहली बार 1990 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 1994 में भी उसे हिरासत में लिया गया था। कहा जा रहा है कि वटाली एक समय पर अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन का ड्राइवर हुआ करता था। इसके बाद उसने करोड़ों की संपत्ति खड़ी की।
इससे पता चलता है कि कश्मीर में किस हद तक टेरर फंडिंग के जरिये आतंकवाद फैलाया गया। अगर ठीक से जांच हुई तो कई और संगठनों के नाम सामने आ सकते हैं जो कश्मीर में लगातार आतंकवाद को प्रश्रय दे रहे हैं।