SHAHEEN BAGH मामला: सुप्रीम कोर्ट भी नहीं चाहता कि प्रदर्शन खत्म हो?

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार आज फिर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने पहुंचे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि नतीजा क्या निकलता है।

आपकी बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है

संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन लगातार दूसरे दिन आज प्रदर्शनकारियों को संबोधित कर रहे हैं। साधना ने आज प्रदर्शनकारियों से कहा कि आपकी बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और यह मामला सुनवाई के लिए आएगा। आज हम उस मामले पर बात नहीं कर सकते हैं कि फैसला किसके पक्ष में आएगा।

बंद सड़क को लेकर कोर्ट ने हमें आपके पास भेजा

साधना रामचंद्रन ने दोहराया है कि आंदोलन करने का हक आपका है, यह सुप्रीम कोर्ट मानता है। एक याचिका के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने हमें आपके पास भेजा है। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि आप शाहीन बाग से उठें। साधना ने कहा कि बंद सड़क को लेकर कोर्ट ने हमें आपके पास भेजा है। हम सभी भारत के नागरिक हैं और हम एक दूसरे को परेशान नहीं कर सकते इसलिए आप लोग समझिए। हमारा ईमान है कोशिश करना और पूरी कोशिश के बाद अगर बात नहीं बनती है तो केस वापस सुप्रीम कोर्ट में जाएगा।

ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान न निकले

साधना ने कहा कि ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका कोई समाधान न निकले। उन्होंने अपने संबोधन में बार-बार कहा कि शाहीन बाग बरकरार रहेगा। इस पर प्रदर्शनकारियों ने खूब तालियां बजाईं।

संजय हेगड़े ने कहा कि आप यह न समझिए कि केवल शाहीन बाग का विरोध है। सुप्रीम कोर्ट देख रहा है कि विरोध प्रदर्शन देशभर के लिए मिसाल होना चाहिए कि वहां प्रोटेस्ट हुआ और जब लोगों को परेशानी हुई तो मिल-बैठकर मसले का हल निकाला गया। बाद में कुछ लोग नारेबाजी करने लगे।

पहले दिन 2 घंटे तक चली बात पर नहीं माने प्रदर्शनकारी

इससे पहले बुधवार को आंदोलनकारियों से बातचीत हुई थी। हालांकि पहले दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। दो महीने से ज्यादा समय से धरना दे रहे आंदोलनकारी फिलहाल सड़क खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। वार्ताकार के रूप में सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन करीब दो घंटे तक शाहीन बाग में रहे। बाद में तीसरे वार्ताकार वजाहत हबीबुल्लाह ने इस बात पर जोर दिया कि वे लोगों की बातें सुनने और समझने के लिए आए हैं। वे सभी के साथ मिलकर समस्या का समाधान खोजना चाहते हैं ताकि लंबे समय से बंद रोड खुल सके और लोगों की परेशानी दूर हो सके।

मामला सिर्फ एक शाहीन बाग का नहीं

आंदोलनकारियों ने वार्ताकारों से कहा कि मामला सिर्फ एक शाहीन बाग का नहीं है। देश में कई जगह ऐसे शाहीन बाग बने हैं। ऐसे में उनके हटने से दूसरी जगह हो रहे आंदोलन भी प्रभावित होंगे। उनका यह भी कहना था कि बारिश और कड़कती सर्दी में आंदोलन के बावजूद कोई उनकी बात सुनने नहीं आया। ऐसे में क्या गारंटी है कि सड़क से हटने के बाद उनकी बात सुनी जाएगी। लोगों ने कहा कि जब बात संविधान और लोकतंत्र बचाने की हो तो सड़क पर आना ही पड़ेगा। सीएए, NRC और NPR को खत्म किए जाने के बाद ही वह यहां से उठेंगे।

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