क्रास वोटिंग के जरिये जीत पक्‍की कर रही है बीजेपी

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आशीष बागची

भाजपा अब काफी बदल गयी है। इसका नजारा राज्‍यसभा(Rajya Sabha) के लिए हो रहे चुनाव में यूपी में दिख रहा है। चुनाव कल यानी 23 मार्च को दस सीटों के लिए होना है। भाजपा अपने विधानसभा के विधायक सदस्‍य संख्‍या के बल पर आठ सीटें और सपा एक सीट निकालने में सक्षम है। अब बची दसवीं सीट के लिए सत्‍तारूढ़ भाजपा व विपक्षी गठबंधन जोर लगाये हुए हैं।

विपक्षी गठबंधन को 37 वोट चाहिये

इस दसवीं सीट पर जीत के लिए 37 विधायकों का समर्थन चाहिये। भाजपा के खुद के 28 वोट हैं। दूसरी ओर गठबंधन के पास 37 वोट। मगर भाजपा ने नरेश अग्रवाल को भाजपा में खींचकर उनके सपा टिकट पर विजयी बेटे नितिन अग्रवाल से वोट भाजपा के पाले में लाकर विपक्षी गठबंधन का एक वोट कम यानी 36 कर दिया है। इस तरह उसने पालाबंदी और उलटफेर को एक मुकाम दे दिया है।

भाजपा नैतिकता भूल चुकी है

इस एक सीट के लिए भाजपा के अनिल अग्रवाल और विपक्षी गठबंधन यानी बसपा के भीमराव आंबेडकर के बीच मुकाबला कड़ा हो गया है। इस तरह माना जा सकता है कि अगर क्रास वोटिंग नहीं हुई तो विपक्षी गठबंधन दसवीं सीट लगभग जीत चुकी है। पर, भाजपा अब वो भाजपा नहीं रही जो पहले नीति, नैतिकता आदि की बात करती थी। दिल्‍ली में केजरीवाल सरकार के दौरान नैतिकता के आधार पर उसने पर्याप्‍त संख्‍या बल होते हुए भी सरकार बनाने से इन्‍कार कर दिया था। दूसरी ओर अटल जी भी नैतिकता की दुहाई देकर केंद्र में भाजपानीत सरकार बनाने से पीछे हट गये थे। अब वही भाजपा येन-केन-प्रकारेण राज्‍यों में सरकारें बनाने व राज्‍यसभा में अपने अधिकाधिक सदस्‍यों को भेजने के वोटों की खरीद-फरोख्‍त में कोताही नहीं बरत रही है।

दसवीं सीट के लिए सस्‍पेंस बरकरार

इसीलिए यूपी राज्यसभा(Rajya Sabha) चुनाव में 10वीं सीट पर सबसे बड़ा सस्पेंस अब भी बरकरार है और एक-एक विधायक पर नजर पार्टियां नजर रख रही हैं। हालत यह हो गयी है कि यूपी में 10वीं सीट पर चुनाव बेहद रोचक हो गया है और बीजेपी व बीएसपी में लड़ाई के चलते किसी के भी पाले में गेम के जाने की नौबत आ गयी है।

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तो विपक्षी गठबंधन इतनी मशक्‍कत क्‍यों कर रहा

अब जबकि बसपा के पास इतने सारे वोट हैं और उसे मात्र एक वोट का जुगाड़ करना है तो उसे इतनी मशक्‍कत क्‍यों करनी पड़ रही है? कारण साफ है, भाजपा पूरी तरह क्रास वोटिंग पर उतर आ सकती है। पहली क्रास वोटिंग के लिए लोग अब नितिन अग्रवाल का नाम ले रहे हैं। वे सपा से विधायक हैं और उनके भाजपा को वोट देने की संभावना के बारे में लोग बातें कर रहे हैं। दूसरी ओर जैसी कि संभावना थी कि राजा भैया भाजपा के पक्ष में जायेंगे, वह कम हो गयी है। अखिलेश की डिनर पार्टी में राजा भैया पहुंचे थे। यह माना जा रहा है कि निर्दलीय विधायक राजा भैया का समर्थन आ जाने से गठबंधन या कह लीजिये बसपा को ताकत मिल गयी है।

पूरे देश की निगाहें यूपी पर

ज्ञात हो कि राज्यसभा की 59 सीटों के लिए पूरे देश में 23 मार्च को मतदान होने जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा दम साधने वाला चुनाव यूपी में हो रहा है। यूपी से इस बार कुल 10 उम्मीदवार राज्यसभा पहुंचने वाले हैं। यूपी की 10वीं सीट पर सबसे बड़ा सस्पेंस इसी वजह से बना हुआ है। इस सीट पर एसपी-कांग्रेस जहां बीएसपी को जिताने में जुटी हैं, वहीं बीजेपी ने भी 9वां कैंडिडेट दे रखा है। बुधवार रात लखनऊ में अखिलेश डिनर पार्टी में अपने संख्याबल को तौल चुके हैं तो योगी भी आवास पर बैठक ले चुके हैं। इस पूरी रा‍जनीति में सिर्फ और सिर्फ जोड़तोड़ का ही खेल बचा है। जोड़तोड के अलावा कुछ नहीं है यहाँ की राजनीति में।

सपा-बसपा-कांग्रेस एकजुट

दरअसल यूपी में राज्यसभा चुनावों की गणित के मुताबिक एक कैंडिडेट को जीत के लिए 37 विधायकों के मतों की जरूरत है। बीजेपी के पास 311 और सहयोगियों अपना दल एस (9) व सुभासभा (4) को मिलाकर एनडीए के कुल 324 विधायक हो रहे हैं। वहीं एसपी के पास 47, बीएसपी के 19, कांग्रेस के 7, आरएलडी के 1, निषाद के 3 और निर्दलीय तीन विधायक हैं।

अगर सहयोगी बीजेपी के साथ रहे आठ उम्मीदवारों को 37-37 वोट मिलने के बाद बीजेपी के पास 28 वोट बचे हैं। अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को जिताने के बाद एसपी के पास 10 विधायक बचे हैं। इसमें बीएसपी के 19, कांग्रेस के 9 और आरएलडी के 1 विधायक को मिला दिया जाए तो संख्या बल 37 पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में बीएसपी के कैंडिडेट भीमराव आंबेडकर को कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन यहीं नरेश अग्रवाल फैक्टर राह का रोड़ा बन गया।

मुख्‍तार अंसारी बसपा को वोट देंगे

मजे की बात यह कि जेल में बंद मुख्तार को वोटिंग की अनुमति देने के लिए बीएसपी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच का दरवाजा खटखटाया है। बुधवार को बीएसपी के महासचिव सतीश मिश्रा ने वोटिंग के लिए दो विधायकों मुख्तार अंसारी (बीएसपी) और हरीओम यादव (एसपी) को जेल से रिहा करने की मांग की। इन दोनों विधायकों के वोट बीएसपी राज्यसभा(Rajya Sabha) कैंडिडेट के लिए काफी अहम हैं।

ताजी स्थिति में संख्‍या के आधार पर विपक्षी गठबंधन बीस

ताजी स्थिति यह है कि बीजेपी के पास इस वक्त तक 31 वोट हैं। उसे 9वीं सीट जीतने के लिए महज छह और वोट चाहिए। इस स्थिति ने विपक्ष पर अपने विधायकों को बचाने का दबाव बढ़ा दिया है। बीएसपी प्रत्याशी के पास 36 वोट का समर्थन है। इसीलिए क्रॉस वोटिंग की आशंका से विपक्ष बेचैन है। कांग्रेस ने आज अपने सातों विधायक बुलाए। उन्‍हें गोपनीय लंच दिया। निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्र जो अबतक विपक्ष के खेमे में माने जाते थे अब भाजपा के पाले में चले गये हैं। शिवपाल से मुलाकात के बाद भी मिश्रा नहीं माने। इस तरह 23 मार्च का दिन विपक्षी गठबंधन, देश की भावी राजनीति, खेमेबंदी, क्रासवोटिंग आदि देखने के लिए बेहद अहम हो गया है।

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