अखिलेश और मायावती को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए आ रहे हैं ‘राजा’ !

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यूपी में सियासी दलों ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए बिसात बिछा दी है। कभी समाजवादी पार्टी के केंद्र बिंदु रहे शिवपाल सिंह यादव द्वारा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) का गठन करने के बाद रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अपने दल ‘जनसत्ता पार्टी’ के गठन का ऐलान करने जा रहे हैं।

राजा भैया 30 नवंबर को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में रैली कर इसकी घोषणा करेंगे। राजा भैया अब तक भले ही कुंडा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हों, लेकिन लेकिन यूपी की करीब 24 से अधिक सीटों पर उनका दखल रहा है। ऐसे में उनके द्वारा राजनैतिक पार्टी बनाने को लेकर सियासत के गलियारों में कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

1993 में राजनीति की शुरुआत से लेकर 2017 तक राजा भैया निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कुंडा विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। राजा भैया पहली बार दलीय राजनीति में भले ही उतर रहे हों, लेकिन बीजेपी और एसपी से उनके नजदीकी रिश्ते रहे हैं, लेकिन कभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए।

सीटों पर प्रत्याशियों का चयन भी होता रहा है

बीजेपी और एसपी से रिश्तों के चलते वह कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के सीएम कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे। बीजेपी और एसपी दोनों दलों में राजा की दखल वाली सीटों पर प्रत्याशियों का चयन भी होता रहा है।

राजनैतिक जानकारों की माने तो तब की राजनीति और आज की राजनीति में काफी बदलाव आ रहा है, ऐसे में अपना वजूद बनाए रखने के लिए शिवपाल या फिर रघुराज प्रताप के लिए अपनी राजनैतिक पार्टी जरूरी हो गई थी।

अखिलेश से उनकी तल्खी जग जाहिर है

वर्तमान राजनीति में राजा खुद के लिए नहीं बल्कि अपने समर्थकों के लिए ज्यादा परेशान थे। एसपी अब पूरी तरह अखिलेश यादव के हाथ में है और अखिलेश से उनकी तल्खी जग जाहिर है। राज्यसभा चुनाव के दौरान एसपी-बीएसपी के उम्मीदवार के खिलाफ वोट देने के बाद से यह तल्खी बढ़ गई है।

ऐसे में अब एसपी से उनके समर्थकों को टिकट मिलने की उम्मीद न के बराबर है। बीएसपी और कांग्रेस से उनकी कभी पटरी नहीं खाई। बीजेपी की कमान अब शाह के हाथ में है, ऐसे में समर्थकों को वहां से भी टिकट दिलाना मुश्किल काम है। अपने समर्थकों को एडजस्ट करने के लिए राजा के पास एक ही विकल्प था कि वह अपनी पार्टी के निशान से उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारें। साभार

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