सरकार को ध्यान देना होगा क्योंकि तनाव में हैं पुलिसकर्मी !

0

पुलिसकर्मियों के बढ़ते आत्महत्या के मामलों को लेकर यूपी पुलिस(police) एसोसिएशन के संरक्षक अनिल मेहता का कहना है कि आईपीएस सुरेन्द्र दास आत्महत्या प्रकरण में यूपी पुलिस के मुखिया डीजीपी की यह स्वीकारोक्ति कि, अधिकतर पुलिसकर्मी कार्यबोझ और अवकाश(leave) न मिलने के कारण तनाव में रहते हैं।

ये सुनकर मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ कि यूपी पुलिस के मुखिया को पुलिसकर्मियों के तनाव के सिर्फ दो कारण ही मालूम हैं। लेकिन बहुत से ऐसे मामले हैं जिससे पुलिसकर्मी तमाम मानसिक तनावों को लेकर कार्य करता है।

सरकार करे व्यवस्था

ला एण्ड आर्डर, विवेचना, मानवाधिकार सही कार्य करने के बावजूद पुलिस अधिकारियों की फटकार, ला एण्ड आर्डर मेन्टेन करने के लिये साधनो का अभाव और ऊपर से बच्चों की शिक्षा की चिंता, बूढ़े माँ बाप के चिकित्सा की चिंता जैसी वजह भी हैं। मैं यह नहीं समझ पाया कि जब अम्बानी,टाटा जैसी प्राइवेट कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा, इलाज के लिये बेहतरीन व्यवस्था कर सकती हैं तो यूपी सरकार अपने प्रदेश के सबसे अहम विभाग जिसके ऊपर प्रदेश के जनता की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है, क्यों नहीं व्यवस्था करती है।

सिर्फ शोषण कर रही है सरकार

पुलिसकर्मियों के प्रति यूपी सरकार कितनी चिन्तित है कुछ उदाहरण हैं- सिपाहियों को साइकिल भत्ता, 24 घंटे मोबाइल पर एलर्ट रहने के आदेश पर मोबाइल पर खर्च होने वाले पैसे का कोई हिसाब नहीं। एक उप निरीक्षक को इतना वाहन भत्ता कि वह अपने क्षेत्र का एक सप्ताह भी चक्कर नहीं लगा सकता। ऊपर से क्षेत्र की जवाबदेही वो अलग। कई जिलों में तो ट्रेनी उप निरीक्षकों को वाहन भत्ता भी नहीं मिल रहा है।

हालत की सुधार के लिये कोई आगे नहीं आता

थानाध्यक्ष की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं कही जा सकती थाने के भवन के रख रखाव से ले कर थाने आने वाले अतिथियों की आवभगत उसके जिम्मे!और भी तमाम खर्चे थानेदारों के जिम्मे हैं जिनका यहाँ पर उल्लेख करना उचित नही होगा! यहाँ पर एक बात लिखना चाहूँगा पुलिसकर्मियों की हालत पर राजनेता,पुलिस अधिकारी बातें तो खूब करते हैं उनके हालत की सुधार के लिये कोई आगे नहीं आता।

पुलिसकर्मी अनुशासन के डंडे तले जिस हालत में जिन्दा रहने को मजबूर है ,छोटे-छोटे तनाव तो पुलिसकर्मियों के पास बहुत से हैं जैसे स्थानान्तरण मालूम पड़ा कि पुलिसकर्मी अपने बच्चे का एडमीशन विद्यालय मे करवा चुका है या उसका बच्चा आधे सेशन की पढ़ाई कर चुका उसी दरमयान पुलिसकर्मी का स्थानांतरण पुलिसकर्मी पर वज्र के सामान होता है।

व्यापक सुधार की आवश्यकता

पुलिसकर्मी चुनाव ड्यूटी मुस्तैदी के साथ सम्पन्न करवाता है पर पुलिसकर्मी को चुनाव में मिलने वाला भत्ता कई चुनाव निकल जाने के बाद भी नहीं मिलता,इसके अलावा पोस्टमॉर्टम की ड्यूटी, सजा पाए हुए अपराधियों को जेल पहुंचाने की ड्यूटी, अगर जेल कहीं दूर हुई तो उसके लिये वाहन की व्यवस्था करना। पुलिसकर्मियों के कार्य को देखते हुये पुलिस विभाग में बहुत ही व्यापक सुधार की आवश्यकता है केवल बातों से कुछ नहीं होने वाला है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More