क्‍या, राजा भैया न घर के रहे न घाट के?

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आशीष बागची

राजा भैया को लेकर उत्‍तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों गरम है। देखना दिलचस्‍प होगा कि राजा भैया(Raja Bhaiya) किस ओर जाते हैं। राज्‍यसभा के चुनाव में जिस तरह क्रास वोटिंग हुई, उससे साफ लगता है कि विपक्ष गठबंधन की कीमत पर राजा भैया को किनारे लगा चुका है।

कारण साफ है

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह राजा भैया(Raja Bhaiya) पर हमला बोला और उसके तुरंत बाद अखिलेश ने राजा भैया के साथ खिंचवायी गयी फोटो को ट्विटर हैंडल से डिलीट किया, उससे साफ लगा कि विपक्ष अब राजा भैया(Raja Bhaiya) से दूरी बनाने की कीमत पर ही एक बनाये रखने की ओर बढ़ रहा है।

राजा भैया शक के दायरे में

राजा भैया पर मायावती के ताजे हमले की पृष्‍ठभूमि यह है कि बसपा के शासनकाल में मायावती ने राजा भैया की ऐसी की तैसी कर दी थी। राजा भैया पहले से ही खुंदक खाये हुए थे। ऐसे में हाल में हुए राज्‍यसभा चुनाव में वे और उनका सहयोगी विनोद सरोज का वोट राजनीतिक गलियारों में चर्चा में आ गया। वोट डालने से पहले राजा भैया का ट्वीट करना। देर से वोट डालने आना और वोटिंग के बाद सीधे सीएम योगी से मिलना, इन चर्चाओं को बल दे रहा है।

शक अकारण नहीं

सपा और बसपा के पास अपने व सहयोगी दलों (कांग्रेस और रालोद) के विधायकों को मिलाकर 74 वोट थे, लेकिन, मतदान के दिन उनके पास महज 70 विधायक ही मौजूद थे। दो विधायकों को जेल से वोट की अनुमति नहीं मिली जबकि सपा के नितिन और बसपा के अनिल सिंह भाजपा के पाले में चले गए। निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके साथी विधायक विनोद सरोज ने एसपी को वोट देने का ऐलान किया था। ऐसे में एसपी और बीएसपी प्रत्याशियों को 72 वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन मिले कुल 71 वोट, जिसमें एक वोट अवैध घोषित हो गया। इससे साफ है कि एसपी-बीएसपी प्रत्याशियों को किसी एक विधायक ने वोट न करके बीजेपी के नौवें प्रत्याशी को वोट किया।

इसी वजह से हुआ शक

बसपा सुप्रीमो का शक इसी को लेकर है। तभी उन्‍होंने राजा भैया पर हमला बोला। ये दोनों ही वोट बसपा के उम्‍मीदवार को मिलने चाहिये थे पर वैसा नहीं हुआ। जाहिर है राजा भैया ने बसपा के राजकाल में उनके साथ हुए बुरे सुलूक का भरपूर बदला ले लिया और सपा के चहेते भी बने रहे और अखिलेश के साथ फोटो भी ट्वीट करवा लिया। यही नहीं उनका पत्‍ता भी नहीं खुला। मायावती के ताजे हमले के बाद राजा भैया विपक्षी गठबंधन के लिए अब अपरिहार्य नहीं रहेंगे। वैसे भी वे निर्दल जीतते आये हैं और इसी बिना पर उनकी राजनीति चलती रही है। वे प्रदेश में अखिलेश सरकार के समय कैबिनेट मंत्री तक बने।

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क्रॉस वोट करने वाला तीसरा कौन?

हालांकि यह खुल नहीं रहा है कि किस विधायक ने बसपा प्रत्‍याशी को वोट नहीं दिया था, फिर भी मायावती को पूरा शक है कि खेल राजा भैया ने ही बिगाड़ा और इसीलिए प्रेस कांफ्रेंस में उन्‍होंने राजा भैया पर हमला बोला।

राजा भैया ने भी पलट कर जवाब दिया

यह सही है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसकी पुष्टि की कि राजा भैया ने उन्हीं की पार्टी को वोट दिया है। अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर राजा भैया के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “समाजवादी पार्टी का साथ देने के लिए आपका बहुत शुक्रिया।” वहीं राजा भैया ने गुरुवार को इशारों-इशारों में अखिलेश यादव का साथ देने की बात कही थी। यह बात उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए कही थी। राजा भैया ने लिखा, “न मैं बदला हूं, न मेरी राजनैतिक विचारधारा बदली है। मैं अखिलेश जी के साथ हूं का अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि मैं बसपा के साथ हूं।”राजनीतिक घमासान के बीच यह देखना हमेशा ही दिलचस्‍प रहता है कि ऊंट किस करवट बैठ रहा है।

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