दो मिनट में होकर तैयार, जानें ‘मैगी’ कैसे बन गया सबका यार

दुनिया के जिस देश में गया वहां के लोगों ने इसे बेपनाह मोहब्‍बत से नवाजा

0

पैदाइश तो स्विट्जरलैंड की है। पर दुनिया के जिस देश में गया वहां के लोगों ने इसे बेपनाह मोहब्‍बत से नवाजा। आलम ये है बच्‍चा हो या उम्रदराज, महिला हो या पुरुष। हर कोई इसका दीवाना है। अमीर-गरीब और धर्म-जाति के बंधनों को नकारते हुए हर किसी ने इसे अपनाया है। आपके मन में सवाल उठना लाज‍मी है कि आखिर कौन है ये? चलिए हम बताये देते हैं। अरे जनाब यह और कोई नहीं हम सब का मुश्किल से मुश्किल समय में साथ देने वाला हर दिल अज़ीज़ इंस्‍टेंट फूड ‘मैगी’ है। अरे वही अपना ‘टू मिनट नूडल्‍स मैगी’। जो किचन में हो तो न ‘मम्‍मी’ को टेंशन और न ‘बेटा जी’ को। बस दो मिनट और गरमा-गरम मैगी आपके डाइनिंग टेबल पर तैयार है। खास यह कि कोरोना काल में मैगी एक वॉरियर की तरह उभर कर सामने आया है और लाखों करोड़ों लोगों की भूख को शांत किया है।

पर आपको बताऊं कि स्विट्जरलैंड से शुरु होकर आपके किचन तक का मैगी का यह सफर इतना आसान नहीं था। इसने भी तमाम तरह के उतार चढ़ाव देखे हैं। आइये हम आज आपको मैगी की जिंदगी से रूबरू कराते हैं। जिससे आप वाकिफ नहीं होंगे।

जूलियस मैगी की सोच का है परिणाम-

मैगी ब्रांड की शुरुआत स्विट्जरलैंड की मिट्टी से जुड़ी हुई है। इसकी स्थापना 1884 में हुई थी। स्विस उद्यमी जूलियस मैगी की सोच फैक्‍ट्री के कामगारों और उनके परिवार वालों के लिए अच्छा स्वाद और पौष्टिक भोजन सुलभ कराना था। हालांकि मैगी नूडल्स से पहले मटर और बीन्स के ‘ईजी टो मेक’ सूप की शुरुआत हो गई थी। जिसका मुख्य उद्देश्य काम करने वाली महिलाओं को पौष्टिकता प्रदान करना था। मैगी के आविष्‍कार के पीछे की सोच सिर्फ साधारण तरीके से बनाए जाने वाला एक आसान भोजन की ही नहीं थी। बल्कि ऐसा भोजन जो की सस्ता हो और तमाम फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को पौष्टिकता दे सके।

19वीं सदी में जूलियस ने सोचा कि क्यों न ऐसा कुछ बनाया जाए जो कि हर जगह सबको सस्ते दाम में उपलब्‍ध भी हो। यही कारण रहा कि वह दालों से तैयार किए गए सूप, सॉस और आटे जैसी खाद्य वस्तुओं के साथ आए, जो पोषक तत्वों से भरपूर थे और सबसे महत्वपूर्ण पचाने में आसान थे। मैगी के सारे प्रोडक्ट्स ज़बरदस्त हिट हो गए और मैगी ने दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अपने पंख फैलाना शुरू कर दिया। 1888 तक, ब्रांड ने यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका (यूएसए), फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम (यूके), जर्मनी और इटली जैसे विभिन्न देशों में अपनी उपस्थिति बनाना शुरू कर दिया था।

1947 में मैगी को मिला नेस्‍ले का साथ-

1947 में नेस्ले ग्रुप ने मैगी ब्रांड को एक्वायर कर लिया था। नेस्ले ग्रुप की स्थापना 1866 में स्विट्जरलैंड में ही हुई थी। शुरुआत से ही नेस्ले ग्रुप डेरी प्रोडक्ट्स में झंडे गाड़ रही थी। और आज के समय में हम सब जो मिल्क चॉकलेट और डार्क चॉकलेट खाते है वह सिर्फ नेस्ले ग्रुप की ही देन है। नेस्ले ग्रुप ने मैगी इंस्टेंट नूडल्स को बढ़ावा दिया और नतीजा साफ़ रहा की मैगी लगभग हर देश में झंडे फहराते हुए आगे बढ़ता गया।

अमिताभ बच्‍चन थे ब्रांड एंबेसडर-

मैगी का सफर भारत में बहुत ही रोचक रहा है। एक समय में लगभग 90 प्रतिशत मॉर्किट शेयर का हिस्सा बन चुका था मैगी नूडल्स। इसी बीच मैगी के ऊपर बैन लगना भी एक अलग ही कहानी थी। मैगी की कहानी में उसके टैगलाइन ने भी भारत के लोगों के दिलों में भी एक अहम् जगह बना ली थी। जैसे “मैगी 2 मिनट नूडल्स”, “टेस्ट भी हेल्थ भी”, “2 मिनट में खुशियां”; इन तमाम टैगलाइनों ने भारत में मैगी को बढ़वा दिया।

1982 में भारत में नेस्ले ग्रुप ने मैगी प्रोडक्ट को लांच किया। वर्ष 1997 भारत मैगी को बहुत ही कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा और इसी समय में भारत में मैगी ने अपने नूडल्स के लिए “टेस्टमेकर” भी निकला लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि ऐसी परेशानी लाज़मी थी क्‍योंकि भारत की ईटिंग हैबिट बदल पाना काफी मुश्किल था। 1997 की अपनी हालत देखते हुए मैगी ने वर्ष 1999 में अपने सेल्स को बढ़ने के मुख्य उद्देश्य से नया फ़ॉर्मूला निकला जिसकी पंचलाइन थी “फ़ास्ट टू कुक, गुड टू ईट”।

2001 में मैगी ने भारत में अपना धौंस जमा ली थी, और फिर 2012 में मैगी ने बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को अपना ब्रांड एंबेसडर बना लिया था। और इसी की साथ मैगी ने आम लोगों से लेकर अमीरों तक अपनी अच्छी पकड़ बना ली थी।

2015 में लगा था बैन-

लेकिन फिर 2015 में मैगी के ऊपर काले साए मंडराने लगे थे। FSSAI ने पूरे देश में मैगी के ऊपर बैन लगा था जब मैगी नूडल्स में हानिकारक लेड की मात्रा पाये जाने की बात सामने आयी थी। गौरतलब है कि मैगी ने इस बैन से पहले पूरे मार्केट में 80-90 प्रतिशत की बढ़त बना ली थी लेकिन बैन लगने के बाद इनका पूरा मार्किट शेयर धड़ाम से ज़ीरो पर आ गिरा।

फिर धीरे-धीरे समय ने ज़ख्म भर दिए और मैगी फिर से मार्केट में आ गई। ज़ख्म तो भर गया था लेकिन उसके दाग को मिटाने में समय लगता है, इसी को देखते हुए मैगी ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए कई कैंपेन भी चलाया। मैगी अभी-भी हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा है। मैगी नूडल भारत में ग्राहकों की नंबर एक पसंद है। यह कहना गलत नहीं है कि ब्रांड ने भारत में तत्काल खाद्य उद्योग को पूरी तरह से फिर से एक बार परिभाषित किया है।

[bs-quote quote=”इस आर्टिकल के लेखक वैभव द्विवेदी हैं। वैभव विभिन्न मुद्दों पर लिखते रहते हैं।” style=”style-13″ align=”center” author_avatar=”https://journalistcafe.com/wp-content/uploads/2020/04/vaibhav.jpg”][/bs-quote]

यह भी पढ़ें: मैगी का सैंपल फेल, नेस्ले कंपनी पर लगा 45 लाख का जुर्माना

यह भी पढ़ें: इस टी स्टाल में मर्दों की है ‘NO ENTRY’

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्प इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More