यहां के लोगों का खुलापन देख दुनिया हैरान, शादी के लिए महिलाओं को है इतनी ज्यादा आजादी…

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हमने कई तरह की जनजातियों की कहानियां सुनी, जिनका रहन सहन आम लोगों से हट कर होता है। आज हम आपको ऐसे ही जनजाति के बारे में बताएंगे जिनका जीवन रहस्यों से भरा हुआ है। यह जनजाति केवल पहाड़ों में रहना चाहती है। इस जनजाति को सिकंदर महान का वंशज भी माना जाता है।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर फैली हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला पर यह जनजाति रहती है। इस जनजाति का नाम ‘कलाश’ है। इस जनजाति के लोगों की अपनी अनोखी परंपराओं और तौर-तरीकों के लिए जाने जाते हैं।

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पाकिस्तान में कलाश जनजाति के लोगों की संख्या लगभग 4,000 है। इस जनजाति के लोग बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग रहना चाहते है। कलाश जनजाति की कई परंपराएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं। ये अनेकदेववाद को मानते हैं, इसका मतलब एक से ज्यादा देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।

3 साल पहले पाकिस्तान की जनगणना में शामिल-

कलाश जनजाति के लोग पहली बार साल 2018 में हुई पाकिस्तान की जनगणना में अलग जनजाति के तौर पर शामिल हुए। पाकिस्तान की 2018 की जनगणना के मुताबिक, वहां कलाश जनजाति के कुल 3,800 लोग रहते हैं।

ये लोग अफगानिस्तान और पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी से अपनी सुरक्षा के लिए पारंपरिक हथियारों के साथ अत्याधुनिक बंदूकें भी अपने पास रखते हैं। हिंदू कुश पर्वत पर रहने के कारण ये बाकी दुनिया से लगभग कटे रहते हैं।

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कलाश जनजाति में बलि देने की परंपरा भी है। किसी भी त्योहार पर कलाश जनजाति की महिलाएं और पुरुष साथ बैठकर शराब पीते हैं। हर त्योहार पर संगीत और गाने-बजाने की परंपरा है।

इस जनजाति के लोग मौत पर शोक नहीं मनाते हैं। किसी के मर जाने पर ये लोग नाचते-गाते हैं और शराब पीते हैं। कलाश जनजाति के लोग मानते हैं कि ऊपरवाले की मर्जी थी तो वो धरती पर आया और उनकी ही मर्जी से वो वापस गया। इसमें रोने की कोई बात नहीं है।

महिलाओं को है अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी-

कलाश जनजाति की लड़कियों को अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की आजादी है। ये लोग संबंधों को लेकर इतने खुले हैं कि अगर किसी महिला को कोई दूसरा पुरुष पसंद आ जाता है तो वो उसके साथ बिना किसी सामाजिक विरोध के रह सकती है।

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हैरान करने वाली बात है कि महिलाओं को ये आजादी उस पाकिस्तान में है जहां महिलाओं की आजादी की बात पर फतवे आ जाते हैं।

मीडिया की रिपोर्टस के मुताबिक इस जनजाति की एक महिला किसी लड़के को पसंद करके उसके साथ उसी के घर में हफ्ता-महीना या जितने दिन चाहें गुजारकर अपने घर वापस आ सकती हैं। इसके बाद लड़की की इच्छा जानकर उस लड़के से शादी करवाई जाती है।

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