गौरक्षकों के खौफ से गाय के इलाज से इंकार

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पिछले कुछ समय में गौरक्षा के नाम पर हिंसा काफी बढी है। वहीं अब इसका असर ये पड़ा रहा है कि बीमार गाय को भी कोई अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं है। 24 साल की ज्योति ठाकुर बड़ी मुश्किल स्थिति में फंस गई हैं। उनकी गाय को लकवा मार गया है और उसे इलाज के लिए इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI) ले जाना है। लेकिन इस सब में दिक्कत ये है गौरक्षकों के डर से कोई भी ट्रक ड्राइवर उनकी गाय को मेरठ से बरेली ले जाने को तैयार नहीं है।
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मेरठ से बरेली के बीच 200 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी है। हर एक प्रयास करने के बाद भी कोई हल न ढूंढ पाने के बाद ज्योति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और यहां तक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तक से मदद की गुहार लगाई।
अभी तक मुझे किसी ने भी आश्वासन नहीं दिया है…
लेकिन फिर भी किसी भी नेता से उनको कोई जवाब नहीं मिला। ज्योति ने कहा, अभी तक मुझे किसी ने भी आश्वासन नहीं दिया है।हम मजबूर हैं। ज्योति बेंगलुरु में एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हैं। और फिलहाल मेरठ में अपने पैतृक गांव लाला मोहम्मदपुर में रुकी हुई हैं। उनका कहना है कि इस मुश्किल के कारण वो अपने काम पर बेंगलुरु भी नहीं लौट पा रही हैं।
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उन्होंने बताया कि उनकी गाय ‘मोनी’ 28 अक्टूबर को बीमार हो गई थी। एक स्थानीय जानवरों के डॉक्टर ने उसका इलाज किया, वो ठीक भी हो गई। लेकिन दो दिन बाद अचानक से फिर बीमार पड़ गई। इसके बाद मोनी की सेहत में सुधार न आता देख डॉक्टरों ने उसे बरेली में आईवीआरआई ले जाने को कहा।
गौरक्षों के हमले का खतरा रहता है
उन्होंने आगे कहा कि जब हमने लोकल ट्रक डाइवरों और ट्रांसपोर्टरों से बात की, तो उन लोगों ने गाय को ले जाने से साफ इनकार कर दिया। उन लोगों ने कहा कि हाईवे पर गौरक्षों के हमले का खतरा रहता है। जो ड्राइवर और क्लीनर गाय को ले जाते हैं, वो उन्हें मारते हैं। गाय बीमार है और गौरक्षकों को शक होगा कि हम उसे मारने के लिए ले जा रहे हैं।
15 दिन से योगी जी नहीं सुन रहे…
ज्योति ने पीएम को कई ट्वीट किए। उसने ट्विटर पर लिखा, सर हमें आपकी जरूरत है। मोनी को मदद चाहिए। आपको 200 से ज्यादा ट्वीट भेजे, इमेल भेजे हैं। 15 दिन से योगी जी नहीं सुन रहे। क्या मोनी गाय होते हुए भी गौमाता नहीं है। हमें आपसे आर्थिक मदद नहीं चाहिए। हमें बस एक गाड़ी और रेस्क्यू टाइम चाहिए, जिससे हम मोनी को बरेली आईवीआरआई ले जा सकें।
(साभार – फर्स्टपोस्ट)

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