जब फांसी देकर बेहोश हो गया था जल्लाद, स्ट्रेचर पर लाना पड़ा था बाहर

फांसी देने वाले जल्लाद को भी बड़े जिगरा की जरूरत पड़ती है

0

फांसी देने वाले जल्लाद को भी बड़े जिगरा की जरूरत पड़ती है। 14 अगस्त, 2004 की सुबह करीब 4.30 बजे अलीपुर सेंट्रल जेल में 14 वर्षीय लड़की के रेप और मर्डर के आरोपी धनजंय चटर्जी को फांसी दी गई थी। इस मामले में आरोपी को फांसी देने के पर लटकाने के बाद जल्लाद बेहोश हो गया था।

2004 में रेप और मर्डर के दोषी धनंजय चटर्जी को जिस दिन फांसी दी गई वह उसका 39वां जन्मदिन था। धनंजय को कोलकाता के नामी जल्लाद नाटा मलिक ने फांसी दी थी। आजाद भारत का यह पहला ऐसा मामला था जिसमें रेप के लिए फांसी दी गई थी।

बताया जाता है कि नाटा ने अपने बेटे महादेव की मदद से धनंजय के गले में रस्सी डाली थी और उसे फांसी पर लटकाया था। लेकिन, फांसी देने के बाद नाटा बेहोश हो गए थे। फिर उन्हें स्ट्रेचर पर बाहर ले जाना पड़ा था।

यह भी पढ़ें: निर्भया के दोषी मुकेश को तिहाड़ में अक्षय संग सेक्स को किया मजबूर!

क्या था मामला-

धनंजय कोलकाता के भवानीपुर के आनंद अपार्टमेंट में गार्ड की नौकरी करता था। इसी अपार्टमेंट में 5 मार्च, 1990 को एक बच्ची अपने फ्लैट में मृत पाई गई थी।

बलात्कार के बाद बच्ची की हत्या हुई थी। 14 वर्ष तक चले मुकदमे के बाद धनंजय को दोषी पाया गया था।

यह भी पढ़ें: निर्भया के दोषी विनय ने लिखी नोटबुक, नाम रखा ‘दरिंदा’

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More