BJP Foundation Day: वो चेहरे जिन्होंने बीजेपी के सफर को शून्य से शिखर तक पहुंचाया

आज भारतीय जनता पार्टी अपना 41वां स्थापना दिवस मना रही है.

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आज भारतीय जनता पार्टी अपना 41वां स्थापना दिवस मना रही है. आज से ठीक 41 साल पहले 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की नींव दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में रखी गई थी और इसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी गई थी. इन 41 सालों में बीजेपी ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया और आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है. इन 41 सालों में भारतीय जनता पार्टी ने कई राजीतिक उतार-चढ़ाव देखे लेकिन कभी हौसले को टूटने नहीं दिया और लगातार बढ़ती रही. बीजेपी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में पांच चेहरों ने अहम भूमिका निभाई. जिसमें अटल बिहारी, वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवानी, नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा शामिल हैं.

1980 में आज ही के दिन हुई थी BJP की स्थापना

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 में आज ही के दिन हुई थी. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जन संघ से इस नयी पार्टी का जन्म हुआ. 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ का कई अन्य दलों से विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ. पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीन ली और 1980 में जनता पार्टी को भंग करके भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गई.

अटल बिहारी वाजपेयी

1952 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली. वे उत्तरप्रदेश की एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतरे थे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार सफलता 1957 में मिली थी. 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वे चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत जब्त हो गई, लेकिन बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर वे लोकसभा पहुंचे. यहीं से अटल बिहारी की जीत का सिलसिला शुरू हुआ और उसके बाद कई बार अलग-अलग राज्यों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वाजपेयी 1996 से लेकर 2004 तक तीन बार प्रधानमंत्री बने.

लालकृष्ण आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी दस बार सांसद रहे. आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन का चेहरा बने जिन्होंने भाजपा की चुनावी और राजनीतिक दिशा और दशा तय की. भाजपा के बाकी मंझे हुए नेताओं की तरह आडवाणी की राजनीतिक जड़ें आरएसएस से जुड़ी हैं, जिसको आप भाजपा की जननी कह सकते हैं. और इसमें वे 1941 में शामिल हुए थे जब वो एक युवा थे.अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी वो धुरी थे जिस पर 1980 में भाजपा स्थापित हुई थी. भाजपा के शीर्ष नेता, जिन्होंने गृह मंत्री, उप प्रधानमंत्री के पद संभाले और जिनकी पार्टी को बनाने में उतनी ही भूमिका और अहमियत थी जितनी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की. पर आडवाणी का राजनीतिक सफर आसान कभी नहीं रहा.

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बीजेपी को संसद में 2 सीटों से लेकर 182 सीटो तक पहुंचाने का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानंत्री लालकृष्ण आडवानी को जाता है. 1984 में 2 सीटों के साथ शुरू हुआ सफर 1998 में 182 सीटों तक पहुंच गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

साल 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रचते हुए 282 सीटों पर जीत का परचम लहराया जो 2019 के आम चुनावों में 300 के पार आंकड़ा चला गया.

अमित शाह

अमित शाह को बीजेपी (BJP) का चाणक्य कहा जाता है. बीजेपी को 2014 के बाद से जो पहचान मिली है उसका श्रेय अमित शाह को जाता है. अमित शाह की सूझबूढ और रणनीति ने राजनीति के धुरंधरों को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. देश के आधे से ज्यादा राज्यों में सरकार बनाने में अमित शाह ने बड़ी भूमिका निभाई है.

आडवाणी की रथयात्रा ने भाजपा के जनाधार को और व्यापक बना दिया था

1989 में बीजेपी (BJP) ने 85 लोकसभा सीटें जीतीं, फिर 1991 में 120 सीटों पर कब्‍जा जमा लिया। वाजपेयी के नेतृत्‍व में बीजेपी ने देश को पहली स्‍थायी गठबंधन की सरकार दी। अयोध्या में राम मंदिर और हिन्दुत्व भाजपा के ऐसे मुद्दे रहे जिनके चलते वह 2 सीटों से 282 सीटों तक पहुंच गई। भाजपा को मजबूत करने में वाजेपयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है। आडवाणी की रथयात्रा ने भाजपा के जनाधार को और व्यापक बना दिया था.

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