राज्य सरकार ने कहा, पहले घर में शौचालय बनवाओ फिर मिलेगी सैलरी

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जम्मू-कश्मीर को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए सरकार ने अपने ही कर्मचारियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। राज्य के किश्तवर जिले में तकरीबन 600 सरकारी कर्मचारियों(government employees) के घर में टॉइलट न होने की वजह से उनकी सैलरी रोक दी गई है। शनिवार को एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।

616 राज्य कर्मचारियों के घर में शौचालय की व्यवस्था नहीं

किश्तवर जिला विकास आयुक्त अंग्रेज सिंह राणा ने शुक्रवार को सहायक विकास आयुक्त अनिल कुमार चंदैल की एक रिपोर्ट के आधार पर यह आदेश पारित किया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि किश्तवर के पैडर ब्लॉक के 616 राज्य कर्मचारियों के घर में शौचालय की व्यवस्था नहीं है।

‘सरकार की दिखाती है खराब तस्वीर’

चंदैल की रिपोर्ट को किश्तवर जिला विकास आयुक्त ने गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा, ‘यह शर्मनाक है और सरकार की एक खराब तस्वीर दिखाता है। एक सरकारी कर्मचारी होते हुए हमारा व्यवहार और रहन-सहन का तरीका दूसरों के लिए उदाहरण होना चाहिए।’

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57.23 फीसदी पूरा हुआ लक्ष्य

स्वच्छ भारत मिशन के तहत जम्मू-कश्मीर में व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण , यूनिट के वैरिफिकेशन और जियो टैगिंग में 71.95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर चुकी है। किश्तवर में इस क्रम में 57.23 फीसदी लक्ष्य पूरा हुआ है।

शोपियां और श्रीनगर ओडीएफ घोषित

लद्दाख के लेह और कारगिल जिले, दक्षिण कश्मीर के शोपियां और श्रीनगर को ओडीएफ (खुले से शौच मुक्त) घोषित किया जा चुका है जबकि दक्षिण कश्मीर के ही अनंतनाग और पुलवामा जिले के अप्रैल के आखिर तक ओडीएफ स्टेटस प्राप्त होने के अनुमान है। ओडीएफ लक्ष्यों की प्राप्ति पर राणा ने कहा कि पुलवामा 98.64 फीसदी, अनंतनाग 98.43 फीसदी, कुपवाड़ा 91.92 फीसदी, राजौरी 84.53 फीसदी और कुलगाम 72.95 फीसदी तक खुले से शौच मुक्त है।

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