कभी जेब नहीं थे 10 रुपये आज हैं 10 करोड़ के मलिक
119 साल पहले जब हिमाचल के कांगड़ा जिले के नेहरां पुखर गांव से छोटू शर्मा चंडीगढ़ आए थे तब उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण कर सकें। कड़ा संघर्ष करना पड़ा। भूखे सोना पड़ा। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। आज वह कंप्यूटर कोचिंग इंस्टीट्यूट के साथ ही एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी के मालिक हैं। जिसका टर्नओवर है करीब 10 करोड़ रुपये।
कभी ऐसे बच्चों से पैसे नहीं लिए…
छोटू बड़े कारोबारी बन गए, लेकिन गुरबत के दिनों को भूले नहीं। कहते हैं कि दूसरों का दर्द वह व्यक्ति अच्छी तरह समझ सकता है, जिसने खुद परेशानियां ङोली हों, अभाव देखा हो। छोटू शर्मा भी ऐसे ही हैं। वह आज उन बच्चों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा देते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। बदले में छोटू यह वादा लेते हैं कि नौकरी मिलने पर स्टूडेंट उनके पैसे चुका देगा, हालांकि उन्होंने बाद में भी कभी ऐसे बच्चों से पैसे नहीं लिए।
ऑफिस ब्वॉय बनकर सीखा कंप्यूटर
छोटू 1998 में ग्रेजुएशन के बाद कंप्यूटर कोर्स करने चंडीगढ़ आ गए। कई कंप्यूटर सेंटरों के चक्कर लगाए, पर हर जगह ज्यादा फीस की वजह से लौटना पड़ा। एक दिन शाम को पिता हेमराज शर्मा उन्हें सेक्टर-17 ले आए, जहां एपटेक इंस्टीट्यूट दिखा। यहां कंप्यूटर कोर्स की फीस 1350 रुपये थी, जबकि उनके आर्मी से रिटायर पिता की कुल पेंशन थी 1800 रुपये।
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छोटू शर्मा ने अलग राह निकाली और इंस्टीट्यूट से कोई काम देने और बदले में कंप्यूटर सिखाने को कहा। बात बन गई और उन्हें ऑफिस ब्वॉय यानी ऑफिस के छोटे-मोटे काम करने वाले सेवक के रूप में काम मिल गया। यहां एक साल उन्होंने नौकरी की और कंप्यूटर की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद इंस्टीट्यूट ने उन्हें कंप्यूटर सिखाने के लिए कुछ लोगों के घर भेजा। वह साइकिल से लोगों के घर जाकर कंप्यूटर सिखाने लगे। करीब दो साल में उनके कई क्लाइंट बन गए, जिनमें बैंक में कार्यरत एक दंपति भी था।
खोला कोचिंग इंस्टीट्यूट
छोटू को एक आइएएस अफसर ने पंजाब सरकार में कांट्रैक्ट पर नौकरी दिलाई। अब उन्होंने घर-घर जाने की बजाय किराए के फ्लैट पर ही बच्चों को कंप्यूटर सिखाना शुरू किया। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या इतनी बढ़ गई कि उन्होंने अपना इंस्टीट्यूट ही खोल लिया। कुछ समय बाद उन्होंने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी भी खोल ली। अब कंपनी संभालने के साथ ही वह और पत्नी शालिनी शर्मा बच्चों को कोचिंग देते हैं। छोटू का कहना है, एक सफल आइटी व्यवसाय के लिए आपको पांच साल का प्लान करना होगा। आप पांच साल बाद कितने पैसे कमाएंगे यह नहीं बल्कि कहां पर होंगे यह सोचना होगा।
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