गंगा में क्यों बनाई जा रही है एक नई नहर?

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गंगा नदी में कुछ असामान्य विकासकार्य  हो रहा है। जल प्रवाह की दृष्टि से गंगा भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी नदी है.बीत कुछ दिनों से गंगा में एक नई धारा बनाई जा रही है. इसकी जानकारी काफ़ी काम लोगों के पास है. यहाँ तक कि जब हमने गाँव वालों से बात करने की कोशिश की तो किसी के पास कोई भी पुख़्ता जानकारी नहीं थी.

Photo: Vaibhav Dwivedi
Photo: Vaibhav Dwivedi

हरिद्वार में हर की पौड़ी और नोर्थ अमेरिका में मिस्सिपी रिवर में भी नई धारा बनाई गई थी. इसे अंग्रेज़ी में हम River Bifurcation कह सकते है. सबके अलग-अलग कारण रहे. गंगा में ऐसा Bifurcation होना कोई आम बात नहीं है, बल्कि ये पहली बार किया जा रहा है. अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक 5.3 km तक इस नहर का निर्माण किया जा रहा है. लेकिन हमारे लिए जानना ये ज़रूरी है कि गंगा में ऐसा क्यूँ किया जा रहा है.

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गंगा का Flowing Pattern

प्रकृति से छेड़-छाड़ का परिणाम हमें झेलना ही पड़ेगा। कुछ ऐसे ही गंगा को भी छेड़ा जा रहा है. आगे बढ़ने से पहले हमें गंगा के Flowing Pattern समझना ज़रूरी है. 2510 km की लम्बाई वाली गंगा मिर्ज़ापुर से बनारस तक सर्पाकार आकर में आती है. चूँकि ये प्राकृतिक धारा है इसी वजह से इसे स्टेबल भी माना जाता है. बनारस में गंगा अर्ध्चंद्राकर आकर में प्रवेश करती है. गंगा का बहाव बहुत तेज़ी से होता है और वेस्ट बैंक की तरफ़ यानी जहां पक्के घाट है उस तरफ़ इनकी Velocity भी बहुत ज़्यादा होती है. नदियों की ये आदत है कि जिस तरफ़ इनकी Velocity ज़्यादा होगी उसके दूसरे तरफ़ बालू जमा हो जाएँगे. साफ है कि गंगा में उस पार आपको रेत-ही-रेत मिलेगी. अगर आसान भाषा में कहें तो जहां से गंगा कर्व होती है उसके दूसरे तरफ़ बाली का जुटाव होता है.

Photo: Vaibhav Dwivedi
Photo: Vaibhav Dwivedi

प्रोजेक्ट की किसी के पास नहीं मिलेगी पुख्ता जानकारी

नदी में जिस नहर का निर्माण किया जा रहा है उसकी जानकारी किसे है. सवालों-पे-सवाल ये उठ रहे है कि ऐसा किया ही क्यूँ जा रहा है? Journalist Cafe की टीम ने जब आसपास के गाँव वालों से पूछने की कोशिश कि तो ऐसा समझ आया कि किसी के पास इसकी कोई भी पूरी जानकारी नहीं है. ऐसा नहीं है कि किसी ने इसे देखा नहीं है बल्कि लोग अक्सर यहाँ पे शाम के वक्त ठहलने आते है. रामआशीष यादव रामनगर के निवासी है. जब हमने उनसे नहर के बारे में सवाल किया तब उनका कहना था कि शायद सरकार इस नहर को किसी व्यापार में इस्तेमाल कर सकती है. वही दिनेश कुमार साहनी जो स्थानीय निवासी है उनसे भी ऐसा सवाल करने पर वह काफी नज़र आए.  उनके मुताबिक़ 1100 करोड़ के लगात से ये प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है. तो ऐसे में ये साफ़ है कि इस प्रोजेक्ट के बारे में किसी के पास पूरी जानकारी नहीं मिलेगी.
Photo: Vaibhav Dwivedi

‘कही गंगा घाटों को न छोड़ दे’

सबसे बड़ा डर इस नहर से ये बन रहा है कि कहीं गंगा बनारस के घाटों न छोड़ दे. ऐसा इसलिए से कहा जा रहा है, क्यूंकि नहर बनाने की वजह से नदी में सिल्टिंग भी बढ़ेंगी. यानी एक तरफ रेत का जुटान होगा और दूसरी तरफ मिट्टी जैसा हाल के सालों में अस्सी घाट के तरफ देखा गया है. इससे गंगा का रास्ता सकरा हो जाएगा, जिसकी वजह से ये डर है कि कहीं गंगा बनारस को त्याग न दे. प्रोजेक्ट से गंगा का फ्लो पैटर्न बदल सकता है. गंगा का पानी वेस्ट बैंक की तरफ है यानी जहाँ पक्के घाट वहां  पर पानी का बहाव बहुत तेज़ी से हो सकता है. इसकी वजह से गंगा के उस पार बालू का जुटाव होता है. लेकिन प्रोजेक्ट की वजह से पानी का बहाव ईस्ट बैंक की ओर बढ़ेगा, जिसकी वजह से बालू का जुटान पक्के घाटों के तरफ  हो सकता है. बाढ़ के बाद अक्सर ऐसा दिख सकता है. बाढ़ के बाद जब पानी कम होता है तब पक्के घाटों की तरफ मिट्टी मिलेगी और उस पार रेत.

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