बिहार में ऐसे चुनाव लड़ेगी भाजपा!

बिहार चुनाव अभियान में भाजपा ने तलाशा नया प्रचार हथियार

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नई दिल्ली : सोशल मीडिया Whatsapp group पर जहां ज्यादातर भारतीय अभी भी दलगोना कॉफी और लॉकडाउन डायरियों की तस्वीरें साझा करने में व्यस्त हैं, वहीं सत्तारूढ़ BJP वही कर रही है जो वह हमेशा करती है – यानी अपने अगले चुनाव की तैयारी। कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव पहला सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होगा।

एफबी लाइव्स

हालांकि, हमेशा की तरह लाखों लोगों द्वारा भाग लेने वाली मेगा ‘हुंकार रैलियों’ के स्थान पर इस बार बिहार चुनाव अभियान Whatsapp group, एफबी लाइव्स और डोर-टू-डोर प्रचार के जरिए चलाया जाएगा।

अभियान की रणनीति पर काम शुरू

बिहार के एक BJP सांसद ने पहले से ही पार्टी के अभियान की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है, “बिहार चुनाव का आधा हिस्सा अलग-अलग Whatsapp group पर लड़ा जाएगा। अभी, हर ब्लॉक में कम से कम एक भाजपा Whatsapp group है। कुछ बूथ-स्तर के ग्रुप भी हैं। जब तक अभियान शुरू नहीं हो जाता तब तक हम चाहते हैं कि बिहार के हर बूथ में एक Whatsapp group हो, जिसमें ‘बूथ प्रहरी’ एडमिन होगा और अभियान के संबंध में सभी प्रमुख यहां जानकारी साझा की जाएंगी।”

फेसबुक और यूट्यूब लाइव

सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों के अब काफी समय तक बने रहने की संभावना के बीच पार्टी ने हाई-वोल्टेज मेगा रैलियों को फेसबुक और यूट्यूब लाइव से प्रतिस्थापित करने का सचेत निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन करने बहुत पैसा भी बचेगा।”

यह अभियान अलग होने वाला है

भाजपा के आईटी सेल के अमित मालवीय ने कहा, “आपको इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि यह अभियान कितना अलग होने वाला है और इस बार तकनीक को कौन सी दिलचस्प भूमिका निभानी है।” मालवीय पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की विभिन्न राज्य इकाइयों के साथ दैनिक आधार पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनिश्चित करते हैं।

डिजिटल पैठ का कोई अंदाजा नहीं

बिहार के एक अन्य तकनीकी-प्रेमी भाजपा सांसद का कहना है, “आपको बिहार में डिजिटल पैठ का कोई अंदाजा नहीं है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बीच, मैंने एक भारी परिवर्तन देखा है। कम से कम पिछले छह वर्षों में मुझे बिहार में एक भी ऐसा कार्यकर्ता नहीं मिला है जिनके मोबाइल पर फेसबुक या Whatsapp group नहीं है।”

भाजपा के एक सदस्य जो कि नई दिल्ली से कार्यरत हैं लेकिन जमीनी हकीकत पर जिनकी पकड़ है, उन्होंने बताया कि टिकट मिलने की आशा रखने वाले कई उम्मीदवार पहले ही ग्राफिक डिजाइनरों से संपर्क कर चुके हैं और विभिन्न अनौपचारिक Whatsapp group में अपने प्रचार मामले को आगे बढ़ाने लगे हैं।

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