वाराणसी : फर्जी पहचान पत्र से पासपोर्ट बनवाना पड़ महंगा, पुलिस ने मास्टरमाइंड को धरा

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कुवैत जाने की इच्छा रखने वाले अफगानिस्तान के युवक आबिद अब्दुल्लाह को फर्जी आधार कार्ड और वोटर कार्ड के जरिए पासपोर्ट बनवाना महंगा पड़ गया। वाराणसी पुलिस ने आरोपी के साथ मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

आजमगढ़ के फूलपुर निवासी साहबे आलम (28) वर्ष 2013 में कुबैत दो वर्ष के लिए वर्किंग वीजा पर वेल्डिंग के काम के लिए गया था। वहां जाने के बाद साहबे आलम को 200 दीनार की जगह 55 दीनार के हिसाब से बकरी चराने का काम दिया गया। इसी दौरान साहबे की मुलाकात अली नामक एक आफगानी से हुई। जिसके पास वह पांच वर्षों तक रहकर वेल्डिंग का कार्य किया।

इसी दौरान कुवैत सरकार ने देश में अवैध तरीके से रह रहे लोगों को वन टाइम आपाती आउटपास लेकर अपने देश लौट जाने का नियम निकाला। जिसके बाद अली की मदद से साहबे आलम भारत आया। तभी अली ने उसको बताया था कि आफगानिस्तान में बहुत ऐसे लोग है जो कुवैत आना चाहते है लेकिन कुवैत सरकार उन्हें वीजा नहीं देती।

आर्थिक तंगी और कर्ज में डूबे होने के कारण साहबे आलम भारत आकर फर्जी पासपोर्ट और वीजा बनवाने का कार्य करने लगा और इसके एवज में मोटी रकम लेने लगा। पकड़ा गया अफगानिस्तान के युवक आबिद अब्दुल्लाह (25) ने पुलिस को बताया कि उसे कुवैत जाना था, मगर कुवैत सरकार ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, ईराक और सीरिया के नागरिकों को वीजा देना बैन कर दिया है इसलिए हमे साहबे आलम ने फर्जी पासपोर्ट बनवाने के लिए भारत बुलवाया था। मैं मेडिकल वीजा पर 11 जनवरी को भारत आया और दिल्ली घूमता रहा।

17 जनवरी को साहबे आलम ने आजमगढ़ अपने घर बुलाया। आलम इसके एवज में हमसे 20 हजार रुपये लिए थे। आलम ने अफगानिस्तानी युवक का फर्जी वोटर आईडी और आधार कार्ड जावेद के नाम से बनवाया था। अफगानी युवक का पासपोर्ट बनवाने साहबे आलम 31 जनवरी को साथ में आया मगर संदेह होने पर आलम भाग निकला। पुलिस ने अफगानी युवक से पूछताछ कर मास्टरमाइंड साहबे आलम को आजमगढ़ से गिरफ्तार कर लिया।

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