बिजली विभाग में ताक पर नियम, धड़ल्ले से हुआ प्रमोशन…

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एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा करती है वहीं दूसरी ओर सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का बोलबाला है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग का है।

इस विभाग में नियुक्ति में तत्कालीन प्रबंधन ने ऐसे कार्मिकों को प्रोन्नत कर दिया जो आज विभाग में ही नहीं हैं अर्थात सेवानिवृत्त हो चुके हैं और तो और ऐसे कार्मिकों को भी प्रोन्नति कर दिया गया जो विभाग क्या दुनिया में भी नहीं अर्थात मृत हो चुकें हैं.. वहीं जो योग्य कर्मी हैं उनकी प्रोन्नति नहीं की गई।

जी हां, बिजली विभाग में नियुक्ति भी मानकों के विपरीत दूरस्थ शिक्षा से डिप्लोमाधारी प्राप्त अभ्यर्थी (जिसकी विभाग में मान्यता ही नहीं है) को भी अवर अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे दी गई…

आचार संहिता की जल्दबाजी में प्रबंधन ने की लापरवाही-

उत्तर प्रदेश बिजली मजदूर संगठन के महामंत्री सोहेल आबिद के मुताबिक, विभागीय प्रोन्नति के माध्यम से लगभग 1098 को अवर अभियंता बनाया गया है। आदर्श आचार संहिता की जल्दबाजी में प्रबंधन ने इस नियुक्ति में भी मानकों के विपरीत दूरस्थ शिक्षा से डिप्लोमाधारी प्राप्त अभ्यर्थी (जिसकी विभाग में मान्यता ही नहीं है) को भी अवर अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे दी गई है। साथ ही 121+16 कार्मिकों का रिजल्ट रोका गया है। दर्जनों कनिष्ठ tg2 को अवर अभियंता बना दिया गया है जबकि वरिष्ठ उसमें छूट गए हैं।
इन नियुक्तियों में बिना विभागीय अनुमति लिए आईटीआई व डिप्लोमा का प्रपत्र लगाकर फ़र्ज़ी प्रोन्नति भी प्राप्त कर ली गई है जिससे सैकड़ों कार्मिकों का भविष्य अंधकार में डूब गया है।

पीड़ितों का कहना है कि विभाग में जो पूर्व सैनिक आयोग से आये हैं, उन्हे भी पदोन्नति नहीं दी गई। प्रबंधन का कहना है कि हम आपकी योग्यता नहीं मानते जबकि नियुक्ति में मान्य थी।

शासन से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग-

इन सारे फर्जीवाड़ों के देखते हुए बिजली मजदूर संगठन की प्रबंधन से मांग है कि सभी अभ्यर्थियों के साथ न्याय करके रुकी हुई प्रोन्नति लिस्ट तत्काल जारी करें व अवैद्य आईटीआई व दूरस्थ डिप्लोमा से प्राप्त कार्मिकों के प्रपत्रों की शासन से उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश बिजली मजदूर संगठन की एक बैठक भी महामंत्री सुहेल आबिद की अध्यक्षता में लखनऊ के शक्ति भवन, कैंटीन में संपन्न हुई थी । इस अवसर पर संगठन के वरिष्ठ नेतागण- अमिताभ सिन्हा, गुफरान मसूद, दीप सिंह, सुमित श्रीवास्तव, जुगल मिश्रा, मोहित निगम, धीरज कश्यप, आर एस गौतम, सागर शर्मा आदि नेताओं ने कर्मचारी समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। महामंत्री सुहेल आबिद ने बताया कि प्रबंधन ने बड़े पैमाने पर tg2 व कार्यालय सहायकों की भर्ती की है लेकिन तैनाती अत्यधिक दूर कर दी गई है चूंकि यह कार्मिक नॉन-कॉमन कैडर हैं इसलिए यह सभी अपने गृह जनपद के नजदीक नहीं आ पाएंगे और घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर ही इनको अपनी जिंदगी बसर करनी पड़ेगी।

वरिष्ठ नेता अमिताभ सिन्हा ने बताया कि तैनाती में विकलांग व महिलाओं का भी ध्यान नहीं रखा गया है। इससे पहले जो भी तैनाती होती थी उसमें कार्मिकों को संबंधित डिस्कॉम ही आवंटित हो जाता था, जिसे अबकी बार प्रबंधन द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया है। प्रबंधन के इस रवैय्ये से विकलांग व महिला कर्मचारी अत्यधिक परेशान हैं। उ0प्र0 बिजली मज़दूर संगठन, प्रबंधन से महिला और विकलांग कार्मिकों को गृह जनपद का डिस्काम दिए जाने की मांग की है।

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