ट्रंप ने आयात शुल्क बढ़ाने की दी धमकी

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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार का संकट गहराता जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब चीन से होने वाले 200 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर चीन ने व्यापार के गलत तरीके नहीं छोड़े तो अमेरिका यह कदम उठाएगा। दूसरी ओर चीन ने इन कदमों को दबाव बनाने और ब्लैकमेल करने वाला बताया है।

25 फीसद शुल्क लगाने का एलान किया था

साथ ही, अमेरिका के खिलाफ ऐसे ही कदम उठाने की बात कही है। ट्रंप ने पिछले हफ्ते चीन से होने वाले 50 अरब डॉलर के आयात पर 25 फीसद शुल्क लगाने का एलान किया था। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका से होने वाले आयात पर शुल्क बढ़ाने की बात कही है। इन घटनाक्रमों से दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई है। ट्रंप अपने चुनाव अभियान के समय से ही चीन पर द्विपक्षीय व्यापार में गलत तरीके से एकतरफा लाभ उठाने का आरोप लगाते रहे हैं।

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सरकार में आने पर आयात शुल्क के जरिये व्यापार घाटा संतुलित करने की बात भी उन्होंने कही थी। ट्रंप ने एक दिन पहले बयान में कहा कि उन्होंने अमेरिका के ट्रेड रिप्रजेंटेटिव रॉबर्ट लाइथाइजर को चीन से आयात होने वाली वस्तुओं की दूसरी सूची तैयार करने को कहा है। इन पर 10 फीसद का शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने कहा, ‘अगर चीन फिर आयात शुल्क में बढ़ोतरी का कदम उठाता है तो हम 200 अरब डॉलर की अन्य वस्तुओं पर शुल्क लगाकर इसे बराबर करेंगे।

50 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क लगाएगा

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को ज्यादा संतुलित होना चाहिए। हालांकि दुर्भाग्य से चीन ने तय किया है कि वह अमेरिका से होने वाले 50 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क लगाएगा। अमेरिकी बौद्धिक संपदा और टेक्नोलॉजी के मामले में चीन अपने गलत कारोबारी तरीके बदलने की कोई इच्छा नहीं दिखा रहा है। अपने तरीकों को बदलने की बजाय चीन अमेरिकी कंपनियों, कर्मचारियों और किसानों को धमका रहा है, जिन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।’

वहीं, चीन ने कहा है कि अगर अमेरिका ने और शुल्क लगाया तो चीन भी वैसा ही कदम उठाएगा। अमेरिका का यह दबाव बनाने वाला और ब्लैकमेल करने वाला रवैया दोनों पक्षों के बीच बातचीत में बनी सहमति के खिलाफ है। ट्रंप ने कहा कि चीन का हालिया कदम यह दर्शाता है कि वह अमेरिका के साथ कारोबार में गलत तरीके से फायदा उठाने की रणनीति बदलने को तैयार नहीं है। दोनों देशों के बीच व्यापार में 376 अरब डॉलर के असंतुलन से उसकी रणनीति साफ दिखती है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

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