‘पॉकेटमनी’ बचा के गरीब बच्चों को पढ़ा रहे है इंजीनियरिंग

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समाज में परिवतर्न लाने के लिए बस एक प्रयास की जरुरत है। ऐसे ही रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुछ छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ सरोकारों की इंजीनियरिंग भी सिखा रहे हैं। शिक्षा के सरोकार को लेकर यहां के छात्रों की समझ और रुझान ने एक उत्कृष्ट परंपरा को जन्म दे दिया है। गत दस वर्षो से अनेक छात्र इसे आगे बढ़ाते चले आ रहे हैं। वे अपना भविष्य तो बना ही रहे हैं, अनेक वंचित बच्चों का भविष्य भी संवार रहे हैं।

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पॉकेटमनी से पैसा बचाकर इस मुहिम को आगे बढ़ाते हैं

कैंपस के आसपास बनी बस्तियों, गांवों, कॉलोनी में घर-घर जाकर जरूरतमंद बच्चों को चुनते हैं। इनकी आठवीं क्लास तक की पढ़ाई का पूरा इंतजाम करते हैं। स्कूल की फीस, किताबें, कपड़े इसमें शामिल होता है। इस काम के लिए ये किसी से चंदा नहीं लेते। पॉकेटमनी से पैसा बचाकर इस मुहिम को आगे बढ़ाते हैं।

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समय निकाल कर इन बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते

टीम का कहना है कि अगर इस उम्र में ये बच्चे पढ़ने-लिखने के अभ्यस्त हो जाते हैं, तो आगे चलकर अपनी राह तय करने में सक्षम बन जाते हैं। दस साल पहले यहां के कुछ छात्रों और प्राध्यापकों ने इलाके के गरीब और कमजोर तबके के बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया था। वे हर साल कुछ वंचित बच्चों को चुनते थे। न केवल उनकी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जिम्मेदारी वहन करते, बल्कि समय निकाल कर इन बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते। यह सिलसिला अनवरत चल रहा है।

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ये सभी रोजाना इस काम में जुट जाते हैं

साल दर साल अनेक बच्चे यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आते हैं। उन्हीं में से कुछ इस मुहिम को बढ़ाते चलते हैं। फिलहाल, शशिकांत शुक्ला, कमलेश प्रजापति, जय गोपाल जायसवाल, दिव्या, रेशु, परितोष, सर्वेश यादव जैसे अनेक छात्र-छात्रओं ने जिम्मा संभाला हुआ है। ये सभी रोजाना इस काम में जुट जाते हैं।

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