झारखंड में नई तकनीक से बुझेगी खेतों की प्यास

0

झारखंड में पर्याप्त सिंचाई के संसाधन न होने के कारण खेतों की प्यास बुझाने के लिए जल की बेहद कमी है। ऐसे में जल सहेजने, मिट्टी का कटाव रोकने और भूगर्भीय जलस्तर को बरकरार रखने की दिशा में बड़ी पहल हो रही है। धनबाद में भी इस तकनीक के दम पर जल संरक्षण की कवायद शुरू हो चुकी है।

संरक्षण कर इसे सिंचाई के काम में लाया जाएगा

जिले के निरसा, गोविंदपुर और कलियासोल प्रखंड के जोगीतोपा, रामपुर, पहाड़पुर, अंगुलकट्टा और विजयपुर गांव में एलबीएस (लूज बोल्डर स्ट्रक्चर) तकनीक और जल शोषक ट्रेंच के सहारे जल का संरक्षण कर इसे सिंचाई के काम में लाया जाएगा। इससे बंजर एवं टांड़ (पथरीली) जमीन पर भी सालभर खेती करना मुमकिन हो सकेगा।

Also Read : जम्मू कश्मीर में संघर्षविराम को बढ़ा सकती है सरकार

झारखंड जल छाजन मिशन के तहत राज्य में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है। अब तक जल संरक्षण के लिए तालाब का निर्माण कर और चेक डैम बनाकर सिंचाई की व्यवस्था की जाती थी। पर, इस तकनीक से टांड़ जमीन की ढलान पर पानी रोका जाएगा। योजना के तहत प्रत्येक 20 से 25 मीटर की दूरी पर एक एलबीएस का निर्माण हो रहा है, जो पत्थरों से बनता है। तीन मीटर गहराई के ये एलबीएस 30 मीटर लंबे होंगे। जबकि जल शोषक ट्रेंच का निर्माण अत्यधिक ढलान वाली जमीन के तीन तरफ होगा।

पानी का जमाव इन ट्रेंच में होगा, जो बाद में काम आएगा

एक मीटर की चौड़ाई व गहराई और सात से 10 मीटर की लंबाई के ट्रेंच बनाए जा रहे हैं। बरसात के दिनों में पानी का जमाव इन ट्रेंच में होगा, जो बाद में काम आएगा। निर्माण का काम पेटसी नामक संस्था करवा रही है। संस्था के अध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया कि एक एलबीएस के निर्माण पर करीब 70 हजार और ट्रेंच पर 60 हजार रुपये का खर्च आ रहा है। 200 एलबीएस और 500 एकड़ में ट्रेंच का निर्माण तीनों प्रखंडों में होना है।

दैनिक जागरण

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More