बिना हाथों के जन्मी इस बच्ची की सफलता की कहानी दर्शाती है ‘हौसलों की उड़ान’

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अक्सर हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हुए आए हैं, कि कोई भी जंग हाथों से नहीं बल्कि हौसलों से जीती जाती हैं। ऐसा ही कुछ सच करके दिखाया है केरल प्रदेश की रहने वाली बेटी ‘देविका’ ने। बिना हाथों के जन्म लेने वाली इस बेटी के अन्दर पढ़ाई का जो जज्बा था उसे देखकर इनके माता पिता भी इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए।

इस वर्ष पास की दसवीं की परीक्षा 

इस वर्ष देविका ने 81 प्रतिशत अंको के साथ दसवीं की परीक्षा पास की वो भी पैरों से लिखकर। बिना हाथों के जन्मी देविका कि कहानी कुछ ऐसे है कि उन्हें सबसे पहला हौसला उनकी पहली गुरु यानी मां से मिला। एक दिन उसकी मां ने उसके पैर की उंगलियों के बीच एक पेंसिल बांध दी थी, बस इसके बाद तो उसकी यात्रा शुरू हो चुकी थी। पहले अक्षर और फिर संख्याएं लिखने की कोशिश करते करते वो लिखना सीख चुकी थी।

जानें पूरी कहानी 

कहते हैं, इन्सान कोई भी जंग हाथों से नहीं बल्कि हौसले से जीतता है. केरल की देविका ने इसे सच कर दिखाया है. बिना हाथों के जन्म लेने वाली देविका ने इसी साल अपने पैरों से लिखकर दसवीं की परीक्षा दी थी. आइए, जानें देविका की पूरी कहानी।

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हाल ही में एसएसएलसी परीक्षा परिणाम आने के बाद देविका की मानो जिंदगी बदल चुकी है। हर तरफ से उसे तारीफें और उपहार मिल रहे हैं। देविका को अचानक इतनी खुशियां मिल गई हैं कि उसका हौसला और भी बढ़ गया है।

जीत चुकी हैं पुरस्कार 

दसवीं पास करने के बाद देविका ने 11 वीं कक्षा में ह्यूमैनिटी लिया है, अब वो इसी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन करके सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहती है। सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं देविका आर्ट में भी बहुत अच्छी हैं।

हाल ही में उन्होंने अपनी आर्ट को कोझिकोड स्वप्नाचित्रा आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी में लगाया था। इसके अलावा सिंगिंग में भी देविका को बहुत रुचि है। साल 2019 में उसने जूनियर रेड क्रॉस में सर्वश्रेष्ठ कैडेट का पुरस्कार जीता था।

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