COPD से लोगों के फेफड़े लटक रहे हैं, जा रही है जान

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आशीष बागची
जिस तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है, लोगों के फेफड़ों के लटकने व उनमें जाला पड़ने की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है। इससे मौतें भी हो रही हैं। पूरे उत्‍तर प्रदेश में प्रदूषण का स्‍तर लगातार ऊपर जा रहा है जिससे हालत सांस लेने लायक नहीं रह गयी है। लोग जहरीला स्‍माग अपने नथुनों में भर रहे हैं। इससे वे जानलेवा रोगों के शिकार हो रहे हैं। आज बुधवार को विश्‍व क्रानिक आब्‍सट्रक्‍टिव पल्‍मोनरी यानी सीओपीडी (COPD) डे मनाया जा रहा है। इसके तहत पूरे प्रदेश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं और लोगों को अपने फेफड़े व श्‍वांस नली साफ रखने के लिए विविध उपाय अपनाने, स्‍वस्‍थ जीवन शैली अपनाने की अपील की जा रही है।
प्रदूषण के चलते COPD के अलावा MDR TB व EXDR TB रोगों की गिरफ्त में लोग जल्‍द आ रहे हैं। इनसे TB से मौतों की संख्‍या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। हालांकि इनमें चिकित्‍सकों की गलती से भी इनकार नहीं किया जा सकता। लोगों के वजन अलग अलग होते हैं, किसी का 70 किलो तो किसी का 50 किलो। वजन के अनुरूप दवाओं का डोज भी अलग अलग होता है। कभी कभी चिकित्‍सक वजन के अनुरूप दवाएं न देकर गलत वजन के आधार पर दवाएं देते हैं। इससे रोग खत्‍म होने के बजाये तेजी से फैलते हैं और अन्‍यान्‍य कमजोर प्रतिरोध क्षमता वाले भी इसकी गिरफ्त में आते हैं।
COPD दिवस पर अपने संदेश में बीएचयू के सरसुंदर लाल चिकित्‍सालय के चेस्‍ट रोग विभाग के पूर्व विभागाध्‍यक्ष व वरिष्‍ठ प्रोफेसर डा. एस के अग्रवाल (DR. S. K. AGGRAWAL) ने बताया कि लखनऊ, वाराणसी सहित पूरे प्रदेश में श्‍वांस रोगियों की संख्‍या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हम वातावरण को खराब कर आगामी पीढ़ी को कौन सा पर्यावरण देकर जा रहे हैं?
Dr. Aggrawal ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण की वजह से फेफड़ों में जाला पड़ने व उनके लटकने की घटनाओं में इस साल भारी इजाफा हुआ है। पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के सबसे बड़े अस्‍पताल बीएचयू में रोगियों की संख्‍या में अचानक से भारी वृद्धि हुई है। यह बेहद खतरनाक स्थिति का संकेत है।
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आम लोगों के फेफड़े 25 प्रतिशत कम क्षमता से इन दिनों काम कर रहे हैं। बिना बीड़ी-सिगरेट पीये ही 25 सिगरेटों के बराबर का धुआं एक आम शहरी खींच रहा है। वे बिना नशा किये ही सीधे सीधे COPD की गिरफ्त में आ रहे हैं। यही नहीं फेफड़ों में घातक तत्‍व स्‍टोर हो रहे हैं जो कैंसर को भी न्योता दे रहे हैं। तेजी से फेफड़ा कैंसर के मरीजों की संख्‍या में इजाफा हो रहा है।
Dr. Aggrawal ने बताया कि सन् 2030 तक COPD विश्‍व का मौत का तीसरा बड़ा मौत होने वाला रोग बन जायेगा। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार विश्‍व में हर साल तीन करोड़ व भारत में तीस लाख लोग प्रदूषण जनित रोगों से मर रहे हैं। इलाज के लिए नयी-नयी दवाओं के ईजाद के बावजूद COPD से लोगों का इतनी बड़ी संख्‍या में मरना हमें-आपको चौंकाना चाहिये।

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