बिना लॉकडाउन लागू किये यह देश ऐसे लड़ रहा है कोरोना से!

पाबंदियों की तुलना में कम पाबंदियों वाले लोगों का इम्युनिटी लेवल ज्यादा बेहतर

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WHO लगातार चेतावनी जारी कर रहा है कि लॉकडाउन जरूरी है, इसके बावजूद कई देश मान नहीं रहे हैं। कई देशों ने विभिन्न उपाय खोज निकाले हैं ताकि कोरोना को बिना देशबंदी किये मात दी जा सके।
दूसरी ओर WHO ने कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को लेकर भी पूरे विश्व को चेताया है कि ठीक होने का मतलब यह नहीं कि सभी पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। दुनियाभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब कोरोना पीड़ित ठीक होने के बाद फिर से संक्रमित हो गए हैं। मजे की बात यह कि अर्थव्यवस्था को फिर से दुरुस्त करने के लिए कई देशों में इम्युनिटी पासपोर्ट और जोखिम मुक्त सर्टिफिकेट के आधार पर लॉकडाउन में ढील दी जा रही है।
स्वीडन Sweden में पाबंदियों को सख्ती से नहीं लेने का एक वैज्ञानिक आधार सामने आया है। Sweden में खुद वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग ज़्यादा पाबंदियों में रह रहे हैं उनकी तुलना में कम पाबंदियों में रहने वाले लोगों का इम्युनिटी लेवल ज्यादा बेहतर होगा।

Sweden में 2,194 लोगों की मौतें हो चुकी हैं

Sweden में कोरोना वायरस के मामले 18,600 से अधिक हो चुके हैं और यहां 2,194 लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं। लेकिन इस देश में रेस्त्रां, बार, दुकानें और स्कूल खुले हैं। अलग तरह से कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अब दुनियाभर में Sweden की चर्चा होने लगी है, लेकिन कई लोग सरकार की व्यवस्था पर सवाल भी उठा रहे हैं।

Sweden में दुकानें और बार खोलने का फैसला किसी राजनीतिक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि देश के बड़े डॉक्टरों ने ही लिया। देश के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ एन्डर्स टेगनेल ने कोरोना से लड़ने के लिए रणनीति तैयार की है। देश में काफी लोग उनकी प्रशंसा भी कर रहे हैं।

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5 फीट की दूरी रखने पर जोर

कोरोना के दौर में भी बार खोलने को लेकर Sweden में नियम बनाया गया है कि कोई भी बार में खड़ा नहीं रहेगा और एक दूसरे के बीच 5 फीट की दूरी रहेगी। वहीं, 50 से अधिक लोगों के जमा होने पर भी रोक है। रविवार को अधिकारियों ने ये भी कहा कि जिन रेस्त्रां और बार में लोग नियम तोड़ते मिल रहे हैं उन्हें बंद किया जा रहा है।

Sweden में पार्क में भी लोग जा रहे हैं और सनबाथ भी ले रहे हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरस से कुछ हद तक एक्सपोजर के साथ आम लोगों में इम्यूनिटी डेवलप करने और जिन लोगों को खतरा अधिक है उन्हें बचाने के लिए स्वीडन ने इस तरह की गाइडलाइन बनाई है। बता दें कि Sweden की आबादी करीब एक करोड़ है।

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हर्ड इम्यूनिटी हासिल करना लक्ष्य

कई लोगों का आरोप है कि इकोनॉमी को चालू रखने के लिए स्वीडन में ऐसा किया गया है। हालांकि, कोरोना से लड़ाई के लिए नियम बनाने के दौरान इकोनॉमी के क्रैश करने की बात को भी ध्यान में रखा गया है। आर्थिक संकट पैदा होने की वजह से 2009 में ग्रीस में सुसाइड 40 फीसदी बढ़ गया था।

संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ एन्डर्स टेगनेल ने कहा कि किसी न किसी तरीके से सभी देशों को हर्ड इम्यूनिटी हासिल करनी ही होगी। ताकि वायरस फैलने को रोका जा सके।

एन्डर्स टेगनेल का कहना है कि स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हर्ड इम्यूनिटी कुछ हफ्तों में हासिल हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि उनके पास सभी सवालों के जवाब नहीं हैं क्योंकि वायरस के बारे में अब भी काफी कुछ पता नहीं है।

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