पहली महिला स्टेशन मास्टर बन रचा इतिहास

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पिंकी कुमारी एक ऐसा नाम, जो उन लड़कियों के लिए मिसाल है जो अपनी जिंदगी को आसमान की बुलंदियों पर उड़ते हुए देखना चाहती हैं। पिंकी कुमारी कैथलीघाट रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर है। इस रेलवे स्टेशन पर तैनात पिंकी की प्रेरणात्मक कहानी लोगों के दिलों में उमंग भर देती है। पिंकी इस स्टेशन की पहली महिला स्टेशन मास्टर हैं।

पिंकी बिहार के दरभंगा जिले के एक गाँव दरहार में जन्मी। वे सात भाई-बहन हैं। पांच बहनों में से पिंकी सबसे छोटी हैं। उनके पिता स्टैम्प वेंडर का काम करते हैं। उन्होंने एक भरे-पूरे परिवार को सँभालने के लिए बहुत मेहनत की। इसका असर पिंकी पर गहरे से पड़ा। गाँव के माहौल और सीमित आय के बावजूद पिता ने बच्चों को पढ़ने से नहीं रोका और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उत्साहित करते रहे।

उनकी बाकी बहनों की शादी हो चुकी है, लेकिन पिंकी ने उसका सपना पूरा होने और खुद के लायक एक मुकाम हासिल करने से पहले शादी करने से इनकार कर दिया। उनके इस फैसले को परिवार ने भी सम्मान दिया। पिंकी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल से प्राप्त की। पढ़ाई में तेज़ होने के कारण उनका दाखिला नागेंदर झा कॉलेज में हो गया।

यहाँ से उन्होंने मैथ्स (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और फिर शुरू हुआ रेलवे की नौकरी का सफर। 21 साल की उम्र में जिन दिनों बैंक रिक्रूटमेंट का फॉर्म भरने के लिए पिंकी को शहर जाना पड़ा, उस दौरान उन्होंने अपनी पहली रेल यात्रा की। इससे पहले वे कभी ट्रेन के पास भी नहीं गयी थीं। कुछ देर के सफ़र ने पिंकी को शायद रेलवे के साथ जोड़ दिया और मन में रेलवे से जुड़ी नौकरी करने का विचार पैदा कर दिया।

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इसे बाद पिंकी ने रेलवे रिक्रूटमेंट का फॉर्म भरा, परीक्षा दी और उनका चयन हो गया। चंदौसी में एक साल की ट्रेनिंग के बाद पिंकी की पहली पोस्टिंग इस एतिहासिक रेलवे स्टेशन कैथलीघाट पर हुई। वे पिछले एक साल से इस रेलवे स्टेशन पर बतौर स्टेशन मास्टर तैनात हैं।इस पहाड़ी स्टेशन पर तैनात होने से पहले पिंकी ने पहले कभी इतना खूबसूरत शहर नहीं देखा था

और नही कभी पर्वत-पहाड़। पिंकी के लिए ये सबकुछ किसी सपने के सच हो जाने जैसा है। अब पिंकी सिविल सेवाओं की तैयारी में जुटी हैं और ज़िंदगी में कुछ बहुत बड़ा करने का सपना देख रही हैं।

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