जापान के प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किये गए वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ

वरिष्ठ पत्रकार पालागुम्मि साईनाथ 'ग्रामीण कहानियों' की रिपोर्ट करते हैं।

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वरिष्ठ पत्रकार पालागुम्मि साईनाथ को इस साल जापान के प्रतिष्ठित ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पी साईनाथ पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक है। वहीं पुरस्कार की घोषणा के समय कहा गया कि पी साईनाथ एक प्रतिबद्ध पत्रकार हैं, जो भारत में खेती करने वाले गरीब लोगों की आवाज उठाते हैं और लोगों की जीवन शैली को वास्तविकता से रूबरू कराते हुए ‘ग्रामीण कहानियों’ की रिपोर्ट करते हैं।

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बता दें कि पी साईनाथ से पहले संगीतकार एआर रहमान और इतिहासकार रामचंद्र गुहा को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। जापान में इस पुरस्कार की शुरुआत 1990 में की गई थी। जिसका उद्देश्य एशिया की अनोखी और विविधतापूर्ण संस्कृति को संरक्षित रखने और प्रोत्साहित करने के काम करने वाले लोगों और संस्थानों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

अन्य लोगों को भी मिला फुकुओका पुरस्कार

पी साईनाथ के साथ दो अन्य लोगों को भी फुकुओका पुरस्कार दिया गया है। तीन अलग-अलग श्रेणियों में दिए जाने वाले इस पुरस्कार में ग्रैंड अवार्ड साईनाथ को दिया गया, वही अकादमिक पुरस्कार जापान के इतिहासकार किशिमोतो मियो, कला और संस्कृति के लिए थाईलैंड के लेखक और फिल्म निर्माता प्रबदा यूं को सम्मानित किया गया।

पी साईनाथ का  जन्म 1957 में आंध्र प्रदेश में हुआ था। वह देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी के पोते और कांग्रेस नेता वी शंकर गिरि के भांजे है। साईनाथ की पढ़ाई चेन्नई के लोयोला कॉलेज में हुई थी। वहां से वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली आए, जहां से उन्होंने इतिहास में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। साईनाथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक्सीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य भी रहे।

देश के जानेमाने पत्रकार है पी साईनाथ

पी साईनाथ देश के जानेमाने पत्रकार हैं। उन्होंने अपनी पत्रकारिता को सामाजिक समस्याओं, ग्रामीण हालातों, ग़रीबी, किसान समस्या और भारत पर वैश्वीकरण के घातक प्रभावों पर केंद्रित किया है। पी साईनाथ स्वयं को ग्रामीण संवाददाता कहते हैं। वे अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द हिंदू’ और ‘द वेवसाइट इंडिया’ के ग्रामीण मामलों के संपादक हैं। हिंदू में पिछले छ: वर्षों से वे अपने कई महत्वपूर्ण कार्यों पर लिखते रहे हैं। अमर्त्य सेन ने उन्हें अकाल और भुखमरी के विश्व के महानतम विशेषज्ञों में से एक माना है। पी साईनाथ को इससे पहले उनके कार्यों के लिए वर्ष 2007 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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