S-400 ख़रीदने से भारत को सुरक्षा के अलावा ये फ़ायदा भी मिलने वाला है!

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हाल ही में पाकिस्तान ने हत्फ-3 मिसाइल का परीक्षण कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, लेकिन भारत सरकार द्वारा रूस के साथ एक सौदा किया जा रहा है। जो पाकिस्तान की किसी भी मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है। इसके साथ ही दोनों देशों ने इस सौदे को लेकर एक पड़ाव और पार कर लिया है। जिसके तहत भारत और रूस ने अपने इस क़रार से अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद अमेरिका को भी बाहर कर दिया है। ज्ञात हो कि, मोदी सरकार ने रूस देश से S-400 ख़रीदने का क़रार किया था। ये वही सौदा था, जिसको लेकर अमेरिका ने भारत को आंखें भी दिखाई थीं। उसके बाद भी भारत और रूस के बीच सौदा अंतिम पड़ाव तक पहुँचने की ओर बढ़ रहा है।

रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने ख़बर प्रकाशित की है, जिसमें कहा गया है कि, S-400 एयर डिफ़ेंस मिसाइल सिस्टम के लिए दोनों देशों के बीच पेमेंट को लेकर मामला सुलझ गया है। जिसके बाद जानकार बताते हैं कि, ये मामला ऐसा सुलझा है कि, भारत को इससे फ़ायदा पहुँच सकता है। सिर्फ़ रक्षा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि, बजट के मामले में भी भारत को बड़ी राहत मिल सकती है।

क्या है S-400 एयर डिफ़ेंस सिस्टम?:

S-400 एक एयर डिफ़ेंस सिस्टम है। जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें मौजूद होती हैं। ये सिस्टम हवा से आने वाले ख़तरों से बचाव के काम आता है। जैसे कि, फ़ाइटर जेट या फिर किसी भी प्रकार की मिसाइल। जानकार बताते हैं कि, अमेरिकी वायुसेना का F-35 दुनिया का सबसे स्टेल्थ फ़ाइटर जेट माना जाता है। वहीं, S-400 एक साथ छह F-35 को निशाने पर ले सकता है। हालाँकि, अभी तक इन दोनों का सामना नहीं हुआ है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि, S-400 F-35 को आसानी से मात दे सकता है।

ग़ौरतलब है कि, अमूमन एयर डिफ़ेंस की पारम्परिक तकनीक सिर्फ़ फ़ाइटर जेट पर निशाना लगा सकती थी, लेकिन S-400 एक बार में सौ से ज़्यादा टार्गेट को पहचान सकता है और 400 किलोमीटर की रेंज में 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन को भी गिरा सकता है। इसीलिए अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों के रक्षा विशेषज्ञ इसे दुनिया का बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम मानते हैं। यहां तक माना जाता है कि, S-400 अमेरिका में बने मिसाइल डिफेंस सिस्टम ‘Terminal High Altitude Area Defense’(THAAD) से कहीं बेहतर माना जाता है। जबकि, तकनीकी रूप से मिसाइल डिफेंस सिस्टम एयर डिफेंस सिस्टम से उन्नत हथियार होता है।

इन्हीं सारी खूबियों के चलते भारत ये सिस्टम खरीदना चाह रहा है। इसके लिए डील पिछले साल हुई थी। जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत आए थे। ग़ौरतलब है कि, भारत इस सिस्टम के बदले रूस को तकरीबन 39 हज़ार करोड़ देगा।

भारत-रूस के बीच से अप्रत्यक्ष अमेरिका को हटाने की क़वायद:

दिल्ली स्थित रूस के दूतावास में रूसी मिशन के डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर काउंसलर रोमन बबुश्किन ने जानकारी दी कि, रूस अपनी डील पर कायम है। जिसके तहत सिस्टम की डिलीवरी साल 2023 तक शुरू हो जाएगी। इसके बाद उन्होंने ये भी कहा कि, डॉलर पर से दुनिया का भरोसा उठ रहा है। तो भारत-रूस को पैसों के लेन- देन के नए तरीकों पर विचार करना चाहिए।

ये नया तरीका क्या होगा? इसकी जानकारी भारत में रूस के व्यापार प्रतिनिधि यारोस्लाव तारास्युक ने दी। उन्होंने बताया कि,S-400 के लिए भुगतान भारतीय रुपयों में किया जाएगा। रुपये और रूस की मुद्रा रूबल का एक एक्सचेंज रेट तय किया जाएगा और फिर दोनों देशों में मौजूद बैंकों के ज़रिए सौदे की रकम ट्रांसफर की जाएगी। इससे अमेरिका तस्वीर से बाहर हो जाएगा, क्योंकि भारत और रूस ने लेनदेन के इस खेल से डॉलर को बाहर कर दिया है। ज्ञात हो कि, रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले टूट रहा है। तो किसी भी अंतर्राष्ट्रीय सौदे की रकम वक्त के साथ ऊपर जा रही है। ग़ौरतलब है कि, रुपये-रूबल में कीमत ऊपर नीचे नहीं होती है, लेकिन इस व्यवस्था में भारत को वैसा नुकसान होने की संभावना कम रहेगी। जैसा कि, तेल कारोबार में होता है। हम तेल डॉलर में खरीदते हैं। डॉलर के महंगे होने पर हमारे यहां तेल महंगा हो जाता है, क्योंकि हमें उसी तेल के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं।

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