रिक्शावाले के बेटे ने IAS बनकर किया पिता का सपना पूरा

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किसी इंसान की सफलता को देखकर लोगों की जुबान पर एक बात अक्सर निकल जाया करती है कि अरे इसे इतनी बड़ी सफलता कैसे मिल गई? लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि जिस सफलता को आज वो देख रहे हैं उसके पीछे कितने लोगों की मेहनत और बलिदान छिपा है।

जब कोई भी इंसान अपनी मंजिल पाता है तो सिर्फ उस मंजिल को पाने के बाद वही सफल नहीं होता है बल्कि उसके साथ उससे जुड़े और भी लोग सफल हो जाते हैं। क्योंकि उस एक इंसान को सफलता के मंजिल तक पहुंचाने में कुछ ऐसे भी किरदार होते हैं जो अपना सुख चैन सब गंवा देते हैं उसके सपनों को पूरा करने के लिए।

कुछ ऐसी ही कहानी है एक रिक्शा चालक की जिसने अपने बेटे को अफसर बनाने के लिए दिनरात रिक्शा चला कर उसे पढ़ाता जा रहा था। खुद के तन पर कपड़े नहीं होते थे लेकिन बेटे के लिए पैसे भेजता रहता था। बनारस के रहने वाले नारायण जायसवाल एक रिक्शा चालक हैं और रिक्शा चलाते-चलाते और अपने परिवार का भरण-पोषण मुश्किलों से करते हुए उन्होंने अपने बेटे गोविंद को IAS बना दिया।

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नारायण जायसवाल की परिस्थितियां ऐसी नहीं थीं कि वो अपने बेटे को बिजनेस करा सकें और ना ही कोई महंगी पढ़ाई का बोझ ही उठा सकते थे। अधि‍कांश सरकारी नौकरियों के फिक्स होने के कारण सरकारी नौकरी की तैयारी भी बेमानी थी इसलिए गोविंद के पास UPSC की तैयारी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। हालांकि UPSC CIVIL परीक्षा की तैयारी के लिए किताबों की खरीदारी का खर्च गोविंद ट्यूशन पढ़ाकर पूरा करता था।

लेकिन ये जानकर कि एक रिक्शे वाले का बेटा यूपीएससी की तैयारी कर रहा है लोग बड़ी हंसी उड़ाते थे। पिता नारायण को यह बहुत बुरा लगता, पर वो कुछ कहते नहीं। वो सिर्फ सही समय का इंतजार कर रहे थे और अब वो समय आ गया। नारायण जायसवाल और उनके बेटे गोविंद की मेहनत रंग लाई। गोविंद आज आईएएस के पद पर हैं।

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