राम मंदिर बने पर मस्जिद से उचित पर : शिया वक्फ बोर्ड

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उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि अयोध्या में राम(ram) के जन्मस्थल से एक उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती है।

दोनो धर्मस्थलों के बीच दूरी जरूरी हैं 

शिया वक्फ बोर्ड ने हलफनामे में कहा कि “दोनों धर्मस्थलों के बीच की निकटता से बचा जाना चाहिए, क्योंकि दोनों ही के द्वारा लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल एक-दूसरे के धार्मिक कार्यो में बाधा की वजह बन सकता है और कई बार यही दोनों पक्षों में विवाद का कारण बनता है।

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क्या शिया हलफनामे

हलफनामे में कहा गया है, “इस मुद्दे के अंतिम निपटारे के लिए मस्जिद को मुस्लिम बहुल इलाके में बनाया जा सकता है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के अति सम्मानित जन्मस्थल से उचित (रीजनेबल) दूरी पर हो।”
सुन्नी वक्फ बोर्ड से कोई संबंध नही

 

शिया वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा है कि इस मामले से सुन्नी वक्फ बोर्ड का कोई संबंध नहीं है, क्योंकि मस्जिद एक शिया संपत्ति थी।

हलफनामे में कहा गया है, “चूंकि बाबरी मस्जिद एक शिया वक्फ थी, इसलिए मामले के शांतिपूर्ण निपटारे के लिए इसके अन्य पक्षों से बातचीत का हक केवल शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश को है।”

शिया बोर्ड ने यह भी सुझाव दिया है कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का सौहार्द्रपूर्ण हल सुझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाए, जिसमें सभी संबंद्ध पक्षों के सदस्य शामिल हों।

हलफनामे में कहा गया है कि इस समिति में प्रधानमंत्री कार्यालय और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के नुमाइंदे भी हों और यह विवाद के सौहार्द्रपूर्ण हल के लिए सुझाव और प्रस्ताव दे।

सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की है। यह अयोध्या भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसलों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और विवादित भूमि के मालिकाना हक पर फैसला सुनाने के लिए 11 अगस्त से सुनवाई करेगी।

साल 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने फैसला दिया था कि भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटकर इसे संबंद्ध पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निरमोही अखाड़ा और राम लला को सौंप दिया जाए।

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