वसीम रिजवी का बयान, ‘वो पावरफुल लोग हैं मुझे मरवा देंगे’

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उत्तर प्रदेश के अयोध्या  में राम मंदिर के हिमायती के तौर पर चर्चा में आए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी मदरसों में आतंकी फंडिंग की बात कहकर फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसा बोर्ड भंग करने की मांग की तो केंद्रीय कैबिनेट सेक्रटरी को मदरसों की जांच की सिफारिश की है।इस पर कई मौलानाओं ने उनके गिरफ्तारी की मांग की है। बावजूद इसके वसीम रिजवी अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि मदरसों के नाम पर फंडिंग पाने वाले लोगों के तार ऊपर तक जुड़े हैं। वे उन्हें मरवा देंगे। एक इंटरव्यू के दौरान वसीम रिजवी-

जब से योगी सरकार आई है, आपके सुर बदले हुए दिख रहे हैं। आप मदरसा, मौलाना और मस्जिद के खिलाफ क्यों हो गए?

मैंने दो मामले उठाए। पहला राम मंदिर का और दूसरा मदरसों का। पहले मामले में मैंने तब कोशिश शुरू की, जब 21 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के बाहर समझौते से विवाद खत्म करने को कहा था। दूसरा मामला मदरसों का है। यह मेरी जानकारी में चार महीने पहले आया। मैं शाहजहांपुर गया था। वहां देखा कि मदरसों में बच्चों को बुनियादी जानकारी देने की जगह केवल दीनी शिक्षा दी जा रही।

बिना बुनियादी शिक्षा के बच्चों का क्या भविष्य होगा, आप बताइए। मेरे दोनों मसले वाजिब हैं। मदरसों में मौलाना कई बार हिंदुओं को काफिर बताते हैं तो कभी कुछ और। यह सही है कि सरकार बीजेपी की है, लेकिन जब मामले जानकारी में आते हैं, तभी बातें होती हैं। इसे यह कहकर टाला नहीं जा सकता कि पहले क्यों नहीं कहा। मदरसों के बारे में जो मैंने कहा वह इंटेलिजेंस की तमाम रिपोर्ट और अपनी पड़ताल के आधार पर बड़ी जिम्मेदारी से कहा है।

कल्बे जवाद समेत तमाम मौलाना मदरसे पर आपके स्टैंड से खफा हैं

वे तो तब से खफा हैं, जब मैंने पिछली सरकार में कब्रें बिकने पर रोक लगाई। कब्रें काफी समय से बिक रही थीं। अखिलेश सरकार के दौरान यह बात तब सामने आई, जब मेरे एक जानने वाले का इंतकाल हुआ और उसकी पत्नी को गहने बेचकर कब्र खरीदनी पड़ी। वह मौलाना हैं, पावरफुल हैं। एसपी में उनके अच्छे कनेक्शन थे। उन्होंने मुकदमे लिखवा दिए मेरे खिलाफ। सीबीसीआईडी जांच हुई। मैं मुकदमा लड़ता रहा। ढाई साल जांच करवाई। कुछ साबित नहीं हुआ। उनका गुस्सा ठंडा नहीं हुआ तो इस सरकार में भी मेरे खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज करवा दिए। उसकी भी जांच होगी। सब सामने आ जाएगा।

तमाम मौलाना ने आपकी गिरफ्तारी न होने पर आंदोलन की बात कही है

मौलाना विरोध करते हैं। यह उनका कारोबार है। चंद मौलानाओं के लिए मैं मुस्लिम बच्चों के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकता। मैं जानता हूं कि सभी मौलाना मेरा विरोध करेंगे। जकात और चंदे से खरबों रुपये आते हैं। मेरी सिफारिश इस कारोबार पर चोट कर रही है। अपने बच्चों को कॉन्वेंट में पढ़ाते हैं और गरीब बच्चों को मदरसों में भेजने को कहते हैं। यह कैसा न्याय है? क्या गलत को गलत कहने का हक भी वसीम रिजवी के पास नहीं है?

तो आपका यह आंदोलन जारी रहेगा?

बिल्कुल! मैं कुछ इंतजार करूंगा और फिर एसएलपी दाखिल करूंगा सुप्रीम कोर्ट + में। इनकी कमाई पर चोट कर रहा हूं। ये पावरफुल लोग हैं। मुझे मरवा देंगे। जिस तरह की एक्टिविटी चल रही है और जो खबरें मुझे मिल रही हैं, उससे इसका पूरा अंदेशा है। लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगा। मैं अपनी कब्र तैयार करवा चुका हूं। कब्र ले ली है। तख्ती लगवा दी है। पत्थर तैयार करवा रहा हूं।

अगर ऐसा अंदेशा है तो क्या आपने सुरक्षा मांगी?

शुरुआत में मैंने चिट्ठियां लिखी थीं। सुनवाई नहीं हुई। एक गनर मिला है, जो नाकाफी है। हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह भी है कि क्या इंदिरा और राजीव गांधी के पास कम सुरक्षा थी?

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आरोप हैं कि खुद को बचाने के लिए आप बीजेपी की लाइन पर चल रहे?

मैं खुद को किससे और क्यों बचाऊंगा? मेरे ऊपर कोई आरोप साबित नहीं हुआ। 2020 तक मैं चुना हुआ अध्यक्ष हूं। तब तक मुझे हटाया नहीं जा सकता। इस सरकार में ही तो बोर्ड के नॉमिनेटेड सदस्यों को हटाने का फरमान जारी किया गया। अदालत ने सबको बहाल कर दिया। इस सरकार में ही मेरे खिलाफ तीन मुकदमे हुए। किसके इशारे पर सभी को पता है। फिर सरकार का हिमायती होने की बात कहां से आई? अगर मैं बीजेपी के पाले में होता तो क्या वे तुरंत मेरी सिफारिश मान नहीं लेते या मेरे खिलाफ मुकदमे क्यों लिखे जाते?

फिर ऐसे बयानों से राजनीति क्यों गर्मा रहे हैं?

मैं कोई राजनीति नहीं कर रहा। मेरे साथ राजनीति हो रही है। मैंने राम मंदिर की बात कही तो कहा गया कि मैं डकैत हूं। क्या मसला सुलझना नहीं चाहिए? मैंने मदरसों को सुधारने की बात कही तो उसमें भी दिक्कत। मुल्लाओं के बच्चे कॉन्वेंट में पढ़ रहे और हैं वे मदरसों के हिमायती। 100 बच्चों को पढ़ाकर मोटा चंदा चाहते हैं। यही असलियत है।

मौलाना जवाद के साथ आपके रिश्ते ठीक नहीं, आजम के साथ कैसे हैं?

वह मेरे मंत्री रहे हैं। उन्होंने ही अपने कार्यकाल में बोर्ड भंग किया था। उनके खिलाफ मैं कोर्ट गया और बहाल हुआ। राम मंदिर के मुद्दे पर आजम मुझसे नाराज हैं।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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