क्या है पोंजी घोटाला जिसकी वजह से IAS अफसर ने दी अपनी जान

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कर्नाटक कैडर के एक वरिष्ठ आईएएस अफसर बीएम विजयशंकर ने आत्महत्या कर ली है। यह अफसर 4 हजार करोड़ के चर्चित आई मॉनेटरी एडवाइजरी (आईएमए) पोंजी घोटाला मामले में आरोपी थे। 

वर्ष 2019 में एसआईटी ने विजय शंकर को पिछले साल रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया था। गिरफ्तारी के बाद से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इन पर सीबीआई मुकदमा चलाने की तैयारी कर रही थी।

देश भर में चर्चित रहा पोंजी घोटाला-

पिछली बार जब कर्नाटक में जेडीएस की सरकार थी और कुमार स्वामी मुख्यमंत्री के काल में भी यह मामला सुर्खियों में रहा था। कुमार स्वामी के निर्देश पर ही एसआईटी टीम ने विजय शंकर को गिरफ्तार भी किया था। उसके बाद राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद वीएस येदुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह घोटाला चर्चित बना हुआ था।

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ऐसा नहीं है कि इस पोंजी घोटाले में विजय शंकर के अलावा कोई अफसर शामिल न हो अगर सीबीआई तह तक छानबीन करती तो संभव था कुछ और अफसरों के नाम भी उजागर हो सकते थे, लेकिन विजय शंकर की आत्महत्या के बाद कई घोटाले के कई राज दफन होकर रह गए।‌ आइए आपको बताते हैं यह पोंजी घोटाला क्या है और क्यों कर्नाटक के साथ देश भर में चर्चित रहा था ।

निवेश के नाम पर लोगों से की गई धोखाधड़ी-

यह कर्नाटक राज्य का एक ऐसा घोटाला था जिसमें लोगों से निवेश के नाम पर पहले भरपूर ब्याज का लालच दिया गया लेकिन जब रिटर्न देने का नंबर आया तब आरोपी विदेश भाग गया था।‌ आपको बताते हैं कर्नाटक में यह धोखाधड़ी स्कीम कब से शुरू हुई थी। मुख्य आरोपी मोहम्मद मंसूर खान ने 2006 में आईएमए के नाम से एक कंपनी खोली थी। यह कंपनी कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु सहित कुछ जिलों में अपना संचालन कर रही थी। कंपनी ने लोगों के लिए निवेश का रास्ता खोल धोखाधड़ी शुरू कर दी।

कंपनी पर आरोप था कि लोगों को 17-25 फीसदी का लालच देकर पैसै निवेश करवाया। अधिक ब्याज के लालच में ही हजारों लोग इसके झांसे में फंसते चले गए। धीरे-धीरे आरोपी ने लोगों से 4 हजार करोड़ निवेश करवा लिए थे, लेकिन जब रिटर्न का समय आया तो कंपनी के मालिक मंसूर खान दुबई भाग गया बाद में आरोपी मंसूर को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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आईएमए पोंजी स्कीम मामले में सीबीआई ने आरोपी मंसूर खान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था। इस घोटाले की जड़ें इतनी गहरी थी कि कई अफसर भी शक के दायरे में थे। इस मामले में सीबीआई ने दूसरा मामला प्राथमिकी पीडी कुमार, कार्यकारी अभियंता बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के खिलाफ 5 करोड़ के घालमेल को लेकर दर्ज की गई थी।‌

आईएस विजय शंकर पर घोटाले का आरोप-

वर्ष 2019 में कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनने के बाद एचडी कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बने थे। स्वामी सरकार के समय शिकायत मिली कि आई मॉनिटरी एडवाइजरी में घोटाला हुआ है, जिसके बाद तत्कालीन कुमार स्वामी की सरकार ने इस मामले के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिया।

आईएएस अफसर विजय शंकर पर आरोप था कि उन्होंने इस जांच में कोताही बरती और आरोपियों को बचाने का काम किया है। बाद में एसआईटी ने विजय शंकर को पिछले साल रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था, बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया था। मामला आगे बढ़ने पर विजय शंकर को निलंबित भी कर दिया गया था।

एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद भाजपा की येदियुरप्पा सरकार सत्ता में आई। येदियुरप्पा ने इस मामले को सीबीआई के हाथों सौंप दिया। सीबीआई ने की जांच में पाया गया कि विजय शंकर ने पोंजी घोटाले के आरोपियों को क्लीन चिट देने के बदले डेढ़ करोड़ रुपए लिए थे।

पिछले दिनों से सीबीआई आरोपी निलंबित आईएएस अफसर विजय शंकर पर मुकदमा चलाने की तैयारी कर चुकी थी। कहा जा रहा है इसी के डर से विजय शंकर ने मंगलवार देर शाम अपने बंगलुरु अपने निवास पर खुदकुशी कर ली है।

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