अयोध्‍या केस: ओवैसी बोले, ये आस्था का नहीं बल्कि इंसाफ का मसला

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एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने राम मंदिर बाबरी मस्जिद मामले पर तेज़ी से सुनवाई को लेकर आशंका ज़ाहिर की है। ओवैसी ने कहा कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर 2018 के आखिरी तक मामले का निर्णय होने की बात की जा रही है।

जीएसटी जैसे बुरे फैसलों पर पर्दा डाला जा सके

सुप्रीम कोर्ट से मनमुताबिक फैसला न आने पर संसद में कानून बनाकर राम मंदिर बनाने वाले बयानों पर ओवैसी के कहा कि ये बयानबाजी सुप्रीम कोर्ट को प्रभावित करने के लिए की जा रही है। ओवैसी ने एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि 2019 के चुनाव जीतने के लिए इस मामले में जल्दीबाजी की जा रही है जिससे केंद्र सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे बुरे फैसलों पर पर्दा डाला जा सके।

सिर्फ सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुनने में ही लग जाएंगे

ओवैसी के मुताबिक मुसलमानों को धमकाया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट को प्रभावित करने के लिए बयानबाजी हो रही है। उनके मुताबिक ये आस्था का नहीं बल्कि इंसाफ का मसला है। वो चाहते हैं कि फैसला संविधान के दायरे में होना चाहिए। साथ ही ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बाद कोई कोर्ट नहीं है। ओवैसी मानते हैं कि कोर्ट को छह महीने तो सिर्फ सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुनने में ही लग जाएंगे।

वोट काटने का इल्जाम लगाने वाले खुद कट गए

वैसे सुप्रीम कोर्ट में जब तक ये मसला है, तब तक इस पर संसद कुछ नहीं कर सकती। ओवैसी ने कहा कि जस्टिस लिब्राहन आयोग ने सही कहा था कि पहले बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने के आपराधिक मामले पर फैसला आना चाहिए था। उसके बाद टायटल सूट पर विचार होना चाहिए था। उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर एआईएमआईएम अध्यक्ष ने कहा कि वो आगे और मेहनत करेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि वोट काटने का इल्जाम लगाने वाले खुद कट गए।

(साभार – न्यूज 18)

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