फिल्म समीक्षा: मुल्क का रिव्यू पढ़ने से पहले आप फिल्म देख ले…

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भारत में सामाजिक-राजनीति मुद्दो पर फिल्मे बहुत कम बनती है। मल्क उन्हीं गिनी चुनी फिल्मों में से एक बेहतरीन फिल्म है। यह एक ऐसे संवेदनशील मुद्दे के बारे में बात करत है। जो भारत का एक संवेदनशील मुद्दा है।

वह मुद्दा है इस्लाम को आतंकवाद के साथ जोड़ कर देखने का चलन। यूं तो फिल्म में कहानी बनारस की पृष्ठभूमि में है, लेकिन उस कहानी में उठाए गए सवाल वैश्विक हैं।

कहानी है मुराद अली (ऋषि कपूर) का पूरा परिवार बनारस में रहता है। मोहल्ले के सभी लोग उनके साथ भाई चारे का रिश्ता है। (ऋषि कपूर) के 65 वे जन्म दिन की पार्टी पर पूरा मोहल्ला उनके घर आता है।सब खाना पीना खाते है और सब कुछ सही ढ़ग से चल रहा होता है।

तभी अगले दिन टीवी पर खबर आती है कि इलाहाबाद में एक बम विस्फोट होता है, जिसमें 16 लोग मारे जाते हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला शाहिद (प्रतीक बब्बर) है, जो मुराद अली के भाई बिलाल (मनोज पाहवा) का बेटा है। शाहिद एंटी-टेररिस्ट स्क्वैड के अधिकारी दानिश जावेद (रजत कपूर) द्वारा एनकाउंटर में मारा जाता है। इस घटना के बाद मुराद अली के पूरे परिवार पर आफतों का पहाड़ टूट पड़ता है।

ज्यादातर लोग उन्हें शक की नजर से देखने लगते हैं। उनके भतीजे के गुनाह का बोझ पूरे परिवार के सिर पर डाल दिया जाता है। सरकारी वकील संतोष आनंद (आशुतोष राणा) उनके परिवार को आतंकवाद का पोषक परिवार सिद्ध करने की कोशिश करता है। इस परिवार के बचाव में आगे आती है आरती (तापसी पन्नू), जो मुराद अली के बेटे आफताब (इंद्रनील सेनगुप्ता) की बीवी है। वह उनका मुकदमा लड़ती है।

यह फिल्म कई तीखे सवाल उठाती है और उनका जवाब ढूंढने की कोशिश करती है। फिल्म में सभी का अभिनय बढिया है। फिल्म को डायरेक्ट अभिनव सिंहा ने किया और क्या खूब डायरेक्ट किया है।

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फिल्म समीक्षा-

इस फिल्म के बारे में ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं है, यह फिल्म हर किसी को एक बार जरुर देखनी चाहिए।

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