बंदरों की ‘बदमाश कंपनी’ से बनारसियों को मिलेगी राहत, मथुरा से पहुंचे एक्सपर्ट

0

वाराणसी में बंदरों के उत्पात से बनारस के लोग बेहाल हैं। शहर का शायद की कोई न हो जहां बंदरों की बदमाश कंपनी दिनरात धमाचौकड़ी मचाते न दिखती हो। बंदरों पर लगाम लगाने के लिए नगर निगम की टीम अब विशेषज्ञयों की मदद लेने जा रही है।नगर निगम ने मथुरा के चार एक्सपर्ट के साथ समझौता किया है।

पकड़ेंगे 5 हजार बंदर

करार के मुताबिक पूरे नगर में लगभग 5 हजार बंदरों को पकड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अनुसार एक बंदर को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट की टीम को 3 सौ रुपये दिए जाएंगे। अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार ने बताया कि इससे पहले सात साल पहले बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया था। दरअसल बनारस में बंदरों के आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। आये कोई न कोई घायल होता है।

इन इलाकों में बंदरों का आतंक

पिछले कई सालों में शहरी क्षेत्रों में बंदरों का आतंक बढ़ा है।दुर्गाकुंड, संकट मोचन मंदिर, बीएचयू, शिवाला, राजघाट, सोनारपुरा, अस्सी, भदैनी, पहाड़िया जैसे रिहाइशी इलाकों में लोग बंदरों के उत्पात से त्रस्त हैं। सिर्फ लोग ही नहीं श्रद्धालु भी बंदरों के कहर से बच नहीं पाते। इन बंदरों से निपटने के लिए नगर निगम की टीम ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अब जबकि मथुरा से विशेषज्ञों की टीम शहर में पहुंच गई है, लोगों में उम्मीद जगी है।

बंदर एक मेरूदण्डी, स्तनधारी प्राणी है। इसके हाथ की हथेली एवं पैर के तलुए छोड़कर सम्पूर्ण शरीर घने रोमों से ढकी है। कर्ण पल्लव, स्तनग्रन्थी उपस्थित होते हैं। मेरूदण्ड का अगला भाग पूँछ के रूप में विकसित होता है। हाथ, पैर की अँगुलियाँ लम्बी नितम्ब पर मांसलगदी है।

व्यवहार

‘प्लोस वन’ में छपे शोध निष्कर्षों के अनुसार अमरीका के ड्यूक विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं के अनुसार बंदर भी इंसान की तरह ही फ़ैसला करते और खीझते हैं। फ़ैसला करने के भावनात्मक परिणाम- निराशा और दुख दोनों ही बंदर प्रजाति में भी मूलभूत रूप से मौजूद हैं और यह सिर्फ़ इंसानों का आद्वितीय गुण नहीं है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More