रिटायर हुआ ‘का​रगिल का हीरो’ MiG-27

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करगिल युद्ध के दौरान 1999 में मुख्य भूमिका निभाने वाले मिग-27 आज अंतिम बार उड़ान भरी। इन लड़ाकू विमानों ने तीन दशक से अधिक समय तक भारतीय वायुसेना की सेवा की।

कई दशकों से वायुसेना के लिए ये विमान हवाई हमलों की रीढ़ रहे हैं। वायुसेना, जोधपुर वायुसैनिक अड्डे से सात विमानों की स्वाड्रन को अंतिम विदाई दी।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में वायुसेना के पूर्व अधिकारियों सहित सेवारत अधिकारी भी बड़ी संख्या में शामिल रहे। दक्षिण-पश्चिमी कमान के प्रमुख एयर मार्शल एस.के. घोटिया समारोह की अध्यक्षता की।

ऐसी है मिग 27 की ताकत-

मिग-27 विमान पिछले लगभग चार दशकों से ज़मीन पर हमले की क्षमता रखने वाला भारतीय वायु सेना का बेहतरीन विमान रहा है।

मिग-27 का अपग्रेड रूप 2006 से वायु सेना के लिए प्रयोग लिया जा रहा था। जबकि मिग के अन्य विमान यथा मिग-23 बीएन तथा मिग-23 एमएफ के साथ मिग-27 भी वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं।

इन विमानों ने युद्ध और शांति के समय देश की रक्षा में बेहतरीन योगदान दिया है। करगिल युद्ध में इस विमान ने अपनी बेहतरीन उपयोगिता सिद्ध की।

वहीं ऑपरेशन पराक्रम में भी इस विमान का उपयोग किया गया।

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