महबूबा की धमकी, अगर धारा 370 और 35ए को हटाया तो…

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जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने धमकी दी है कि अगर धारा 370 और 35A हटाया गया तो अच्छा नहीं होगा। उन्होंने धमकी दी है कि ऐसी स्थिति में भारत से जम्मू कश्मीर रिश्ते खत्म कर लेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने धमकी भरे लहजे में कहा कि 370 और 35A राज्य की एक अलग पहचान है, जिसे हर हाल में बचाए रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री पद खोने के बाद पहली बार राजौरी के दौरे पर आई पीडीपी अध्यक्ष ने कहा की राज्य के हालात सामान्य करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अटल बिहारी वाजपेयी बनना पड़ेगा, जिसके लिए पाकिस्तान से बात करना जरूरी है।

इमरान खान की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहिए

दक्षिण एशिया में शांति के लिये भारत एवं पाकिस्तान के बीच संवाद बहाल करने को ‘अनिवार्य’ बताते हुए जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को अपील की कि कश्मीर की खातिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान में अपने समकक्ष इमरान खान की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहिए।

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पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष ने यह भी अपील की कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच शांति की प्रक्रिया बहाल करने के लिये प्रधानमंत्री को दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नक्शेकदम पर चलना चहिए।राजौरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘दक्षिण एशिया में शांति सिर्फ तभी संभव है जब जम्मू कश्मीर में शांति सुनिश्चित होगी।

प्रदेश निष्पक्षता और मजबूती से अपना पक्ष रखे

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 35 ए से संबंधित सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील की ओर से अदालत में की गई टिप्पणी की जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कड़ी निंदा की। पार्टी ने कहा कि राज्यपाल एसपी मलिक यह सुनिश्चित करें कि प्रदेश निष्पक्षता और मजबूती से अपना पक्ष रखे।

पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने एक बयान में कहा, ‘पीडीपी बार-बार जम्मू कश्मीर को प्राप्त संवैधानिक शक्तियों को बनाये रखने तथा इसे और सशक्त बनाने की बात कहती रही है। इस मामले में राज्य के अधिवक्ता ने जो टिप्पणी की है हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं।

अनुच्छेद 35 ए में  लैंगिक भेदभाव का पहलू शामिल है

दरअसल, अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता उच्चतम न्यायालय में जम्मू कश्मीर का पक्ष रख रहे हैं। पिछले हफ्ते अदालत में मेहता ने जो रुख अपनाया था, मीर उस पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। सुनवाई के दौरान, अनुच्छेद 35 ए और कुछ अन्य पहलुओं पर चर्चा की आवश्यकता की दलीलों से सहमति जताते हुए एएसजी ने कहा, ‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसमें (अनुच्छेद 35 ए में) लैंगिक भेदभाव का पहलू शामिल है।

व्यक्ति प्रदेश में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता है

अनुच्छेद 35 ए को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश (प्रेसीडेंशियल आर्डर) से संविधान में शामिल किया गया था। इसके तहत जम्मू कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं। इस अनुच्छेद में की गयी व्यवस्था के तहत राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति प्रदेश में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता है। यह व्यवस्था प्रदेश की उस महिला को भी संपत्ति अधिकारों से वंचित कर देती है जो राज्य के बाहर विवाह करती है। यह प्रावधान उनके उत्तराधिकारियों पर भी लागू होता है।साभार

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