विपक्ष को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं मायावती

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कर्नाटक में शनिवार को खत्म हुई सत्ता की जंग में बी. एस. येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। सत्ता के इस बदलते समीकरण के बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती एक ऐसी प्रमुख ताकत बनकर उभरी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण निभा सकती हैं।

कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन में अहम भूमिका

सूत्रों के अनुसार बीएसपी सुप्रीमो कर्नाटक में मतगणना के दिन से ही विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के संपर्क में थीं। वह यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और जेडीएस चीफ एच. डी. देवेगौड़ा के साथ लगातार कॉन्टैक्ट में थीं। मायावती भले ही कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़कर केवल एक सीट ही जीत हासिल कर सकी हों, लेकिन उन्होंने परिणामों के बाद कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन में मुख्य भूमिका अदा की।

रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभा रही थीं मायावती

सूत्रों की मानें तो मायावती ने पूर्व पीएम देवेगौड़ा को फोन कर बिना समय गंवाए कांग्रेस के सपॉर्ट को स्वीकार करने की सलाह दी। इस दौरान मायावती ने कर्नाटक में तेजी से बदलते राजनीतिक हालात के बीच देवेगौड़ा से कहा कि जेडीएस को अपने नए विधायकों को एक साथ बनाए रखने में चुनौती का सामना करना पड़ेगा। मायावती इसके साथ ही सीनियर कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद के जरिए सोनिया गांधी के संपर्क में भी बनी हुई थीं।

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कड़वे रिश्ते भुला यूपी में दिया एसपी का साथ

गौरतलब है कि मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ कड़वे इतिहास को भुलाते हुए उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव में एसपी प्रत्याशी को समर्थन दिया था। बीजेपी को इन दोनों ही महत्वपूर्ण सीटों पर पराजय का सामना करना पड़ा था। अब कैराना सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी मायावती ने उपचुनाव में कैंडिडेट नहीं उतारने की रवायत को जारी रखते हुए एसपी-आरएलडी प्रत्याशी को समर्थन दे दिया है।

यूपी में ‘भतीजा’ मिला, हरियाणा में ‘भाई’

तीसरे मोर्चे को मजबूत करने में जुटी बीएसपी सुप्रीमो मायावती को जहां उत्तर प्रदेश में भतीजा (अखिलेश यादव) मिला, वहीं हरियाणा में एक भाई (अभय सिंह चौटाला) मिल गया है। दरअसल, हरियाणा में इंडियन नैशनल लोकदल (आईएनएलडी) को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का साथ मिल गया है। अटकलों को विराम देते हुए आईएनएलडी के सीनियर नेता अभय सिंह चौटाला ने पिछले महीने इस गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली आईएनएलडी और बीएसपी के बीच पहले भी गठबंधन हो चुका है। इसके साथ ही मायावती की कोशिश पूरे देश में गैर-बीजेपी दलों को लामबंद कर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में पूरे दम-खम के साथ मैदान में ताल ठोंकने की होगी।

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