यूपी उपचुनाव 2019 के नतीजों के बाद मायावती भड़कीं, सपा की बल्‍ले-बल्‍ले

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उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद बीएसपी मुखिया मायावती भड़क गयी हैं!

उन्‍होंने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला।

उपचुनाव में बीएसपी द्वारा एक भी सीट न जीते जाने को माया ने बीजेपी का षडयंत्र करार दिया है।

‘हाथी’ का साथ छूटते ही भागने लगी ‘साइकल’

दूसरी ओर उपचुनाव के नतीजों ने समाजवादी पार्टी की दीपावली को शानदार कर दिया है।

बिना बड़े नेता के जमीन पर उतरे एसपी ने न केवल अपनी सीट बचाई, बल्कि बीजेपी-बीएसपी की भी एक-एक सीट छीन ली।

‘हाथी’ का साथ छूटते ही साइकल को मिली रफ्तार और बीजेपी को दी गई कड़ी चुनौती।

इस स्थिति ने पार्टी के लिए 2022 में एकला चलने की और मजबूत वजह दे दी है।

मायावती ने ट्वीट किया

शुक्रवार को उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद मायावती ने ट्वीट किया।

‘यूपी विधानसभा आमचुनाव से पहले बीएसपी के लोगों का मनोबल गिराने का षडयंत्र किया गया।

इसके तहत बीजेपी द्वारा इस उपचुनाव में एसपी को कुछ सीटें जिताने व बीएसपी को एक भी सीट नहीं जीतने देने को पार्टी के लोग अच्छी तरह से समझ रहे हैं।’

बीजेपी को एक सीट का नुकसान

उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर हुए उपचुनाव में नौ सीटें पहले से बीजेपी और उसकी सहयोगी अपना दल के पास थी।

उसे 1 सीट पर नुकसान हुआ है।

बीजेपी-अपना दल को 8 और एसपी को तीन सीटों पर जीत मिली है।

बीएसपी और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।

लखनऊ कैंट सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सुरेश चंद्र तिवारी और जैदपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के गौरव कुमार की जीत हुई है।

कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी

विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ भले ही कोई सीट न आई हो, लेकिन कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई।

इतना ही नहीं चुनावों में कांग्रेस ही समाजवादी पार्टी के बाद बीजेपी से लड़ती दिखी।

11 सीटों में से दो सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी रनर अप रहे जबकि चार सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे।

हालांकि, जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए, उसमें एक भी सीट कांग्रेस के खाते में नहीं गई।

कांग्रेस दो सीटों पर रनर अप रही

उपचुनाव में जहां सहारनपुर की गंगोह सीट पर शुरुआत से आगे चले रहे कांग्रेस प्रत्याशी नोमान मसूद अंतिम दौर की मतगणना में बीजेपी प्रत्याशी किरत सिंह से 5,362 वोटों से हार गए।

इसके अलावा कानपुर की गोविंद नगर सीट पर भी कांग्रेस मजबूती से लड़ी और दूसरे नंबर पर रही।

उपचुनाव में कांग्रेस को 12 फीसदी से अधिक वोट मिले, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में मिले वोट प्रतिशत से करीब दो गुने हैं।

पिछले चुनावों पर नजर डालें, तो 2012 में कांग्रेस को 11.5 फीसदी वोट मिला था।

कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थीं।

2017 में मोदी और योगी की लहर में कांग्रेस को वोट प्रतिशत घट कर छह फीसदी की करीब रह गया था और कांग्रेस के हिस्से में सात सीटें आईं थीं।

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