दो जून की रोटी के लिए तरस रहे मजदूर : मसूद अहमद
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार के पिछले क्रियाकलापों के फलस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। नोटबंदी के फलस्वरूप देश के लाखों कारखाने बंद हो चुके हैं तथा उनमें काम करने वाले मजदूर दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं।
उन्केहोंने कहा कि केवल आटो मोबाइल सेक्टर में ही साढ़े तीन लाख लोग नौकरी से बाहर हो चुके हैं। इसी प्रकार इलेक्ट्रानिक सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर सहित अनेको क्षेत्र में लाखों लोग नौकरी गवां चुके हैं और लाखों लोगों पर नौकरी जाने की तलवार लटक रही है।
डाॅ0 अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार काफी समय से रिजर्व बैक से आरक्षित पूंजी से हिस्से की मांग करती चली आ रही थी। इसी सन्दर्भ में रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन और उर्जित पटेल ने भी इस्तीफा दिया था।
वर्तमान गर्वनर शक्तिकांत दास से भी इसी सन्दर्भ में केन्द्र सरकार की जद्दोजहद चली आ रही थी तथा ऐसा आभास होने लगा था कि यदि रिजर्व बैंक ने केन्द्र सरकार के अनुसार आरक्षित पूंजी से हिस्सा न दिया तो प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार भविष्य में किसी विशेष प्रकार का निर्णय ले सकती है।
अन्ततोगत्वा 1.76 लाख करोड रूपये देने की स्वीकृति रिजर्व बैंक की ओर से मिल गई यदि रिजर्व बैंक ऐसा न करता तो सरकार रिजर्व बैंक कानून के तहत असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करने का मन बना चुकी थी।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विगत पांच वर्ष के कार्यकाल में ही देश का आर्थिक ढांचा चरमरा गया है और वास्तव में देश 10 साल पीछे चला गया है। देश के प्रधानमंत्री तथा उनके सहयोगी झूठे आकडों के माध्यम से विकास का पहिया भले दौडा रहे हों लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक से मिले इस धन के द्वारा भी यदि देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री नियोजित ढंग से कार्य नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से देश आर्थिक मंदी के फलस्वरूप बेसहारा और कंगाल हो जायेगा और आने वाला समय सोचनीय होगा क्योंकि एक ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने देश को इतने वर्षो तक गुलाम रखा और अब केन्द्र सरकार की कार्यशैली के फलस्वरूप सैकड़ों बहुराष्ट्रीय कम्पनियां देश में कार्यरत हैं।
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