मक्का-मस्जिद ब्लास्ट : जज ने कहा – संघ से जुड़ना सांप्रदायिक नहीं
मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में सुनवाई करने वाले स्पेशल कोर्ट के जस्टिस के रविंदर रेड्डी ने आरएसएस को लेकर एक अहम टिप्पणी की थी। जस्टिस रेड्डी ने एनआईए के तर्क को नकारते हुए कहा था कि आरएसएस से जुड़े होने का यह मतलब नहीं कि व्यक्ति सांप्रदायिक या एंटी सोशल है।
फैसले के बाद जज ने दिया था इस्तीफा
उन्होंने सीबीआई द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों को भी विश्वसनीय नहीं माना। दरअसल, एनआईए को केस सौंपे जाने से पहले सीबीआई ही इसकी जांच कर रही थी। आपको बता दें कि पिछले दिनों मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में पांच आरोपियों को बरी करने के कुछ घंटे बाद ही जज रेड्डी ने इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया। फोर्थ अडिशनल मेट्रोपॉलिटन सेशंस जज ऐंड स्पेशल जज (एनआईए मामले) रविंदर रेड्डी ने एनआईए के आरोप पर बहस के दौरान अभियोजन पक्ष से कहा कि क्या देवेंदर गुप्ता इसलिए सांप्रदायिक थे क्योंकि वह एक आरएसएस प्रचारक थे?
Also Read : मोदी के मंत्री का विवादित बयान, रेप की 1-2 घटनाएं हो जाती हैं बात का बतंगड़ न बनाएं
जस्टिस रेड्डी का इस्तीफा नामंजूर
जज ने 140 पेज के फैसले में लिखा, ‘आरएसएस कोई गैरकानूनी रूप से काम करनेवाला संगठन नहीं है। अगर कोई व्यक्ति इसके लिए काम करता है तो इसके कारण उसके सांप्रदायिक या असामाजिक होने की गुंजाइश नहीं होती है।’ अपने फैसले में रविंदर रेड्डी ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस को 18 पॉइंट्स में सीमित कर दिया और हर एक पर विस्तार से चर्चा की।
उधर, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट ने जज रेड्डी का इस्तीफा नामंजूर करते हुए उन्हें तुरंत ड्यूटी पर लौटने को कहा है। रेड्डी ने अपने इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया था और कहा था कि इसका मक्का ब्लास्ट के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।