लखनऊ : भिखारियों को रोज़गार नहीं, भीख मांगना ही पसंद है!

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के भिखारियों को नौकरी देने का ऐलान किया है। इसके लिए उन्होंने शासन को आदेश दिया है ​कि ऐसी कोई रणनीति बनाई जाए जिसमें इन्हें रोड में टहलने से बचाया जा सके।

इस आदेश के तहत राजधानी लखनऊ में नगर निगम द्वारा अब भीख मांगने वाले लोगों को रोजगार से जोड़ने की मुहिम चलाई जा रही है ताकि उनकी आय सुनिश्चित हो सके और जीवन स्तर में सुधार हो सके मगर भिखारी काम में लगने को तैयार नहीं है। उन्हें अपना मौजूदा हाल ही पसंद है।

हजरतगंज चौराहे पर लगभग 20 साल से भिक्षावृत्ति में लगे आशू ने बताया कि इस धंधे में ठीक-ठाक कमाई हो जाती है। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों के हफ्तेवार चौराहे बंधे होते हैं। किसी एक जगह पर टिकना मना है। मुझे यही ठीक लगता है। मैं किसी और काम में नहीं जाना चाहता।’

हनुमान सेतु के सामने बैठकर भीख मांगने वाले सूरज इस धंधे में 20 साल से है। उसने बताया कि सरकार की कोई भी योजना उसके लिए ठीक नहीं है। उसकी एक दिन की कमाई लगभग 1500 रुपये है।

नगर निगम की योजना के बारे में बताने पर उसने कहा कि हम कूड़ा कलेक्शन से कितना कमा पाएंगें? यहां बैठे-बैठे भरपेट भोजन भी मिलता है।’

40 साल से इस पेशे में लगे एक बुजुर्ग भिखारी रामदुलारे ने बताया, ‘नगर-निगम की सुविधा हमारे लिए नहीं ठीक है। हम तो यहीं पर ज्यादा अच्छ महसूस करते हैं। कम से कम मंगलवार को हमारा धंधा ठीक रहता है। बड़े लोगों के आने से अच्छा पैसा और खाना मिलता है इसलिए हम कहीं और जाने वाले नहीं हैं।’

भिक्षावृत्ति से जुड़े जितने भी लोग हैं, उन्होंने अपना स्थानीय पता देने से हालांकि मना कर दिया। वे किसके लिए यह धंधा करते हैं यह भी बताने से कतराते हैं।

लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि के अनुसार नगर निगम की मंशा है कि जो सार्वजनिक चौराहों और मंदिरों में भिक्षा मांग रहे हैं, उन्हें डोर-डोर कूड़ा एकत्र करने के लिए लगाया जाए। नगर निगम ने अपने सभी जोनों में इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए हैं।

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