…तो इसलिए भगवान राम ने लक्ष्मण को दी थी मृत्युदंड की सजा, वजह कर देगी हैरान

रामायण को लेकर तरह-तरह की कहानियां सुनी और सुनाई जाती हैं.

0

रामायण को लेकर तरह-तरह की कहानियां सुनी और सुनाई जाती हैं. अलग-अलग लिखी गईं रामायण के अनुसार उनके तथ्य भी एक दूसर से मेल नहीं खाते है. ऐसा ही कुछ लक्ष्मण की मृत्यु के बारे में भी कई तरह की बातें प्रचलित हैं. लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई इस बारे में हम आज जानेंगे.

रामायण की कथा के अनुसार श्रीराम (ram) को न चाहते हुए भी अपने प्रिय अनुज लक्ष्मण(Laxman) को मृत्युदंड देना पड़ता है। लंका विजय के बाद जब श्री राम अयोध्या लौट आते हैं और अयोध्या के राजा बन जाते हैं। लक्ष्मण के माध्यम से सीता को वन में भेज दिया जाता है और अयोध्या का राज-काज सहज गति से चलने लगता है।

भगवान राम न यम देवता को दिया था वचन

एक दिन यम देवता कोई महत्वपूर्ण चर्चा करने श्री राम (ram) के पास आते है। चर्चा प्रारम्भ करने से पूर्व वे भगवान राम से कहते हैं कि – ‘आप जो भी प्रतिज्ञा करते हो उसे पूर्ण करते हो। मैं भी आपसे एक वचन मांगता हूं कि जब तक मेरे और आपके बीच वार्तालाप चले तो हमारे बीच कोई नहीं आए और जो आए, उसको आपको मृत्युदंड देना पड़ेगा।’ भगवान राम (ram), यम को वचन दे देते हैं। राम, लक्ष्मण(Laxman) को यह कहते हुए द्वारपाल नियुक्त कर देते हैं कि जब तक उनकी और यम की बात हो रही है वो किसी को भी अंदर न आने दें, अन्यथा उसे उन्हें मृत्युदंड देना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें- श्री राम के वनवास जाने के पीछे छिपी है दशरथ के मुकुट की ये सच्चाई…

ऋषि दुर्वासा बोले पूरी अयोध्या को श्राप दे दूंगा

लक्ष्मण(Laxman) भाई की आज्ञा मानकर द्वारपाल बनकर खड़े हो जाते हैं। लक्ष्मण को द्वारपाल बने अभी कुछ ही समय बीतता है कि वहां पर ऋषि दुर्वासा का आगमन होता है। जब दुर्वासा लक्ष्मण को अपने आगमन के बारे में राम को सूचना देने के लिए कहते हैं तो लक्ष्मण विनम्रता से इंकार कर देते हैं। इस पर दुर्वासा क्रोधित हो जाते हैं और लक्ष्मण को चेतावनी देते हैं कि यदि तुमने राम (ram) को मेरे आगमन की सूचना नहीं दी तो मैं पूरी अयोध्या को श्राप दे दूंगा। लक्ष्मण समझ जाते हैं कि यह एक विकट स्थिति है जिसमें या तो उन्हें रामाज्ञा का उल्लंघन करना होगा या फिर पूरे नगर को ऋषि के श्राप की अग्नि में झोंकना होगा।

यम को दिया हुआ वचन भगवान राम ने निभाया

लक्ष्मण(Laxman) ने शीघ्र ही यह निर्णय कर लिया कि उनको स्वयं का बलिदान देना होगा ताकि वे नगर वासियों को ऋषि के श्राप से बचा सकें। उन्होंने भीतर जाकर ऋषि दुर्वासा के आगमन की सूचना दी। राम (ram) भगवान ने शीघ्रता से यम के साथ अपनी बातचीत समपन्न कर ऋषि दुर्वासा की आवभगत की। परन्तु अब श्री राम दुविधा में पड़ गए क्योंकि उन्हें अपने वचन के अनुसार लक्ष्मण को मृत्यु दंड देना था। वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे अपने प्रिय भाई को मृत्युदंड कैसे दें, लेकिन उन्होंने यम को वचन दिया था जिसे उन्हें निभाना ही था।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More