जब आधी रात भूख से बिलखते मासूमों का मसीहा बनी ‘खाकी’

'खाकी वर्दी समाज की खरी-खोटी सुनने के लिए ही बनी है', कोरोना से मचे कोहराम और 'लॉकडाउन' के सन्नाटे के बीच, इस कहावत को खाकी वर्दी वाले एक इंस्पेक्टर ने झूठा साबित कर दिया

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‘खाकी वर्दी समाज की खरी-खोटी सुनने के लिए ही बनी है’, कोरोना से मचे कोहराम और ‘लॉकडाउन’ के सन्नाटे के बीच, इस कहावत को खाकी वर्दी वाले एक इंस्पेक्टर ने झूठा साबित कर दिया। वो भी झमाझम बारिश के बीच मनहूस काली आधी रात में। खाकी की किताबों में आने वाली पीढ़ियों को पढ़ने के वास्ते ही सही। इस पुलिस इंस्पेक्टर ने जो यादगार इबारत लिखी सो लिखी। इस सबके पीछे जुड़ी वजह इंस्पेक्टर के इस नेक काम से भी कहीं ऊंची है। बरसाती रात में नंगे पांव भूख से बिलखते सड़क पर मारे-मारे फिर रहे, मासूमों के रोने-सिसकने की बेरहम आवाजें। इन मासूमों की बेबस मां और बेहाल पिताओं के बेजान चेहरे और सूखे हुए हलक। उस मनहूस रात इन्हीं तमाम हालातों ने, अक्सर क्रूर समझे जाने वाली खाकी वर्दी पहने किसी इंस्पेक्टर के दिल-ओ-जेहन को भी झकझोर कर रख दिया।

यह सच्ची घटना घटी 27 मार्च 2020 की रात। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरिता विहार थाना क्षेत्र में। उस रात सरिता विहार थाने के इंस्पेक्टर सुमन कुमार की नाइट पैट्रोलिंग (रात्रि गश्त/ जांच अफसर) थी। बरसात बहुत तेज हो रही थी। हर कोई बरसात से बचने के लिए इधर उधर भाग रहा था। 21 दिन का ‘लॉकडाउन’ भी जारी था। एक तो लॉकडाउन ऊपर से आधी रात के वक्त सूनी पड़ी सड़कों पर भारी बारिश।

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बिलबिलाते मासूमों को देखकर खुद भी सकते में आ गये पुलिस वाले-

तभी इंस्पेक्टर सुमन कुमार और उनके साथ चल रहे पुलिस स्टाफ ने सैकड़ों लोगों की भीड़ को सामने आते देखा। भीड़ करीब आयी तो लॉकडाउन के चलते सरिता विहार थाना पुलिस टीम ने पूछताछ शुरू की। पता चला भीड़ परदेशियों की और गरीबों की थी। जो कई किलोमीटर भूखे-प्यासे ही पैदल चलकर सरिता विहार इलाके में पहुंच गये थे। भीड़ में बहुत सी महिलाएं और उनकी गोद में व उंगली पकड़ कर चल रहे कई बच्चे भी थे। बच्चे बार बार मां से कोई दूध के लिए गिड़गिड़ा रहा था। कोई रोटी और पानी के लिए चिरौरियां कर रहा था।

जानकारी के मुताबिक, सामने मौजूद बेबस, लाचार मां-बाप और उनके साथ मौजूद भूख प्यास से बिलबिलाते मासूमों को देखकर पुलिस वाले कुछ देर के लिए खुद भी सकते में आ गये। लॉकडाउन न होता तो शायद कुछ किया भी जा सकता था। दूसरी मुसीबत थी कि कोरोना से बचाव के चलते ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ भी फालो करनी थी। ऐसे में पुलिस वालों ने सबसे पहले उन अनजानों को एक-एक मीटर दूर खड़े होने की सलाह दी। साथ ही आईंदा वे लोग अनजाने में घुल मिलकर रहने की गलती न कर बैठें, इस मकसद से उन सबको कोरोना और सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में समझाया गया।

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आधी रात को खटखटाया दरवाज़ा-

यहां तक तो पुलिस की ड्यूटी पूरी हो चुकी थी। अब समस्या थी कि, सैकड़ों भूखे प्यासों को आखिर बरसात की रात में अकेला बेबसी के आलम में क्यों और कैसे छोड़ दिया जाये? सवाल जटिल मगर समाधान कोई नहीं था। इसी बीच सरिता विहार थाने में तैनात इंस्पेक्टर सुमन कुमार ने योजना बनाई। पुलिस टीम के कुछ सदस्यों ने आसपास के इलाके में मौजूद उन धार्मिक स्थलों के दरवाजे आधी रात के वक्त खटखटाये, जहां अक्सर लंगर बगैरा का इंतजाम हो जाये करता है। एक तो तेज बारिश ऊपर से आधी रात का वक्त। लिहाजा जाने अनजाने किसी ने दरवाजे नहीं खोले। जिसके चलते पुलिस वाले खाली हाथ रह गये।

इंस्पेक्टर सुमन कुमार ने इस नेक कार्य के बारे में पूछे जाने पर शनिवार को कहा, ‘पुलिस की जो ड्यूटी थी हम सबने किया। वैसे भी किसी की करी गयी मदद और दिया गया दान या पुण्य कर्म बताया सुनाया नहीं जाता है। पुलिस की जो जिम्मेदारी उन परेशान परदेशियों के वास्ते बनती थी, सरिता विहार थाना पुलिस ने वही किया। आधी रात को हम लोग भी (सरिता विहार थाने की नाइट पैट्रोलिंग टीम) भी छोड़ देते उन सबको, तो वे कहां जाते?’

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हर और पुलिस के चर्चे-

पुलिस वालों ने आधी रात के वक्त आखिरकार सरिता विहार रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसियेशन के पदाधिकारी सदस्यों मृणाल सिंह, विजय खेर, रामप्रकाश, हरीश भार्गव आदि को जगाया। उस मनहूस बरसाती रात बदतर हालात समझते ही सरिता विहार आरडब्ल्यूए और सरिता विहार थाना पुलिस ने एक तुरंत योजना बनाई। योजना के तहत तुरंत ही दो तीन हलवाई मजबूरी का हवाला देकर उनके घरों से बुलवाये गये। आग जलाने के लिए हाथ से जलाये जाने वाले स्टोव का इंतजाम किया गया। चक्की खुलवाकर आटा और दुकान खुलवाकर सब्जियों का इंतजाम किया गया।

सरिता विहार इलाके की महिलाओं की मदद से हलवाईयों ने तुरंत खाना तैयार किया। उसके बाद सरिता विहार सी ब्लॉक सामुदायिक भवन में उन सैकड़ों जरुरतमंद भूखे प्यासों को भोजन कराके, कोरोना और लॉकडाउन के दंश से बचाया गया। उस काली रात के बाद सरिता विहार थाना पुलिस का आलम यह है कि, खुद इंस्पेक्टर सुमन कुमार अपने व्हाट्सएप पर मैसेज देकर जरुरतमंदों को बता रहे हैं कि, दो, ढाई या तीन सौ खाने के पैकेज जब भी किसी समूह को चाहिए वो तुरंत ले सकता है। फिलहाल जो भी हो देश की राजधानी में कोरोना से लड़ाई, सोशल डिस्टेंसिंग को अमल में लाने और फिर लॉकडाउन के दंश से बचाव के लिए सरिता विहार थाना पुलिस द्वारा उस रात उठाये गये इस कदम की चर्चा हर जुबान पर है।

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