कुशीनगर में बहादुर ‘बहुओं की ब्रिगेड’, शौचालय नहीं तो ससुराल नहीं

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कुछ साल पहले की ही बात है। एक फिल्म आई थी। नाम था ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’। फ़िल्म में जया यानी भूमि पेडनेकर ससुराल में टॉयलेट न होने की वजह से अपने मायके लौट जाती है। इसके बाद गांव की दूसरी महिलाओं ने भी बगावत का झंडा बुलंद कर देती है। रील लाइफ की ये कहानी रीयल लाइफ में कुशीनगर में दोहराई गई है।

यहां के एक गांव की लगभग डेढ़ दर्जन बहुओं ने शौचालय न होने से ससुराल छोड़ दिया और मायके चली गईं। सिर्फ इतना ही नहीं उनका ये भी कहना है कि जबतक उनके ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता वे वापस नहीं जाएंगी।

डेढ दर्जन बहुओं ने छोड़ा ससुराल- 

बहुओं की इस बहादुरी के किस्से कुशीनगर में सुनाई दे रहे हैं। साल 2018 में कुशीनगर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावे से कोसों दूर है।

शौचालय नहीं होने से पडरौना तहसील के जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया में लगभग डेढ दर्जन बहुएं ससुराल छोड़कर मायके चलींं गयीं है। दुल्हनों का कहना है कि शौचालय के बगैर उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी और जबतक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तबतक मायके में ही रहेगी।

स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोली-

बहुओं की इस बगावत ने स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोलकर रख दी है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुशीनगर जनपद में तकरीबन 4 लाख शौचालय बनने थे। लेकिन बहुत से ऐसे गांव है, जहां आज भी शौचालय नहीं बने हैं।

जगदीशपुर गांव के गांव के ग्रामप्रधान और जिला पंचायतराज अधिकारी एमआईएस और सूची का हवाला दे रहे हैं लेकिन किन परिस्थितियों में इन गरीबों का नाम सूची में नहीं शामिल हुआ इसका जबाब किसी के पास नहीं है।

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