जानें उन 16 सीटों के बारे में, जहाँ कांग्रेस ने लगाया जीत का दांव

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लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से 16 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, इन नामों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर समेत हाल ही में भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुईं सावित्री बाई फूले का भी नाम है। जानने योग्य बात ये हैं कि इन सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जीत की कितनी सम्भावना है और इन 16 लोकसभा क्षेत्रों पर किस पार्टी का परचम आगामी चुनाव में लहर सकता है।

नगीना से ओमवती देवी जाटव:

मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बावजूद साल 2014 में ये सीट भाजपा के खाते में गई थी, इससे पहले 2009 में इस सीट पर सपा का कब्जा था।  इस सीट पर भाजपा से यशवंत सिंह वर्तमान में सांसद हैं। नगीना लोकसभा सीट से पूर्व सांसद और पूर्व विधायक ओमवती देवी जाटव पर कांग्रेस ने दांव लगाया है। ओमवती देवी सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आरके सिंह की पत्नी हैं। वे एक बार सपा से सांसद भी रह चुकी हैं।

मुरादाबाद से राजबब्बर:

कांग्रेस देश अध्यक्ष राजबब्बर को मुरादाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है। मुरादाबाद लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के लिए कांग्रेस में लंबे समय से माथापच्ची चल रही थी। हालांकि, राजबब्बर के मुरादाबाद से चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर करने के बाद से उनका टिकट तय माना जा रहा था।

बता दें कि वर्तमान में इस सीट से भाजपा के श्री कुंवर सर्वेश सांसद हैं। 2014 में पहली बार इस सीट से भाजपा का परचम लहरा था, इससे पहले उस सीट पर 2004 में समाजवादी पार्टी का कब्जा हुआ तो वहीं

इस सीट का जातीय समीकरण: मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सत्ता की चाबी मुस्लिम वोटरों के हाथ में मानी जाती है। यहां पर कुल 52.14% हिन्दू और 47.12% मुस्लिम जनसंख्या है. 2014 में इस सीट पर कुल 17 लाख से अधिक वोटर थे. इनमें 961962 पुरुष और 810084 महिला वोटर थे. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 63.7 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें से 5207 वोट NOTA में डाले गए थे।

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खीरी से जफर अली नकवी:

खीरी से कांग्रेस ने जफ़र अली नकवी को टिकट दिया है, बता दें कि साल 2014 के चुनावों में इस सीट पर बीजेपी और बीएसपी के बीच कड़ा मुकबला हुआ था, कांग्रेस ने पिछली बार भी नकवी को इस सीट पर टिकट दिया था और वे तीसरे नम्बर के प्रत्याशी रहे थे।

इस सीट की पृष्ठभूमि: वैसे इस सीट पर पार्टियों ने लगातार तीन तीन बार जीत दर्ज की है। 1998, 1999 और 2000 के चुनाव में समाजवादी पार्टी यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीती। 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अजय कुमार मिश्र ने बड़े अंतर से जीत दर्ज करवाई थी।

सीतापुर से कैसर जहाँ

भाजपा के राजेश वर्मा वर्तमान में इस सीट से सांसद है। वर्तमान स्थानीय सांसद राजेश वर्मा को प्रदेश की राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी माना जाता है। 1996 में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से की थी। 1999 में वह पहली बार सांसद चुने गए। 2004 में वह सांसद भी चुने गए। 22 साल बाद बसपा में बिताने के बाद 2013 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

वहीं अगर कांग्रेस प्रत्याशी कैसर जहाँ की बात करें तो उन्होंने हाल ही में बसपा से कांग्रेस ज्वाइन की है, 2009 में इस सीट से बसपा सांसद रही कैसर को 2014 के चुनावों में भाजपा ने करारी हार दी थी, जिसके बाद बसपा द्वारा दोबारा इस सीट पर उनको टिकट न मिलने से नाराज कैसर जहाँ ने कांग्रेस का दामन थाम लिया।

इस सीट की पृष्ठभूमि: वैसे इस सीट को बसपा का गढ़ माना जाता है, यहाँ से 1999 से लेकर 2009 तक बहुजन समाज पार्टी ने लगातार तीन बार चुनाव जीता। लेकिन बीजेपी के राजेश वर्मा ने 2014 में यहां बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को करारी मात दी थी। इस सीट पर कुर्मी समुदाय के लोगों का प्रभाव रहा है।

मिश्रिख से मंजरी राही

कांग्रेस ने इस बार मिश्रिख से रामलाल राही की पत्नी मंजरी राही को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। बता दें कि राम लाल राही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से मिश्रीख (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा के पूर्व सांसद रहे हैं। वहीं नरसिम्हा राव सरकार के दौरान गृह राज्य मंत्री के पद पर भी थे और सीतापुर जिले के मिश्रीख से चार बार सांसद रहे हैं।

इस सीट की पृष्ठभूमि: मिश्रिख लोकसभा सीट पर 2014 तक 14 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 7 बार कांग्रेस, 3 बार बसपा और 2 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. वहीं, सपा, भारतीय लोकदल और जनसंघ एक-एक बार जीत चुकी है।

साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में अशोक रावत बसपा उम्मीदवार के तौर पर जीते, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के सहारे बीजेपी की अंजू बाला जीतने में कामयाब रहीं।

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मोहनलाल गंज से राम शंकर भार्गव

एक दौर में मोहनलालगंज कांग्रेस का मजबूत किला रहा है, लेकिन वक्त के साथ सपा ने इस सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी यहां से कमल खिलाने में कामयाब हो गई थी।

इस सीट की पृष्ठभूमि: पांच बार कांग्रेस, 4 बार सपा और तीन बार बीजेपी जीत चुकी है. इसके अलावा एक बार लोक दल और एक बार जनता दल का सांसद भी चुना गया है.

वर्तमान में इस सीट पर भाजपा के कौशल किशोर सांसद हैं, वहीं 2014 के चुनाव में कांग्रेस चौथे नम्बर पर रही थी. बता दें कि कांग्रेस ने राम शंकर भार्गव को मोहनलालगंज सीट पर टिकट दिया है, रामशंकर भार्गव बीएसपी के टिकट पर मिश्रिख लोकसभा सीट पर सांसद रह चुके हैं, वहीं साल 2017 में उन्होंने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी,

सुल्तानपुर से संजय सिंह

गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह को कांग्रेस ने सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया है। फिलहाल वह राज्यसभा सदस्य हैं। इस सीट पर वर्तमान में भाजपा से वरुण गाँधी सांसद हैं लेकिन उनसे पहले 2009 में कांग्रेस के संजय सिंह सांसद रहे हैं, वहीं 2004 में बीएसपी का इस सीट पर परचम रहा है।

प्रतापगढ़ से रत्ना सिंह

इस सीट पर वर्तमान में अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह सांसद है, लेकिन उनका दोबारा जितना आफी मुश्किल लग रहा है। कांग्रेस ने इस सीट पर दोबारा रत्ना सिंह को उतारा है। साल 1996 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राजकुमारी रत्ना सिंह प्रतापगढ़ की पहली महिला सांसद निर्वाचित हुई थी।

इस सीट की पृष्ठभूमि: वहीं 1999 में राजकुमारी रत्ना सिंह ने भाजपा के राम विलास वेदांती को हराकर दोबारा ये सीट अपने नाम कर ली थी। हालाँकि 2004 में समाजवादी पार्टी के अक्षय प्रताप सिंह और 2014 में  अपना दल के कुंवर हरिबंश सिंह काबिज हुए

कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर से चुनाव लड़ेंगे जो उनकी पारंपरिक सीट मानी जाती है। बता दें कि श्रीप्रकाश जायसवाल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दौरान मुरली मनोहर जोशी से हार गए थे। इससे पहले श्रीप्रकाश जायसवाल लगातार तीन बार साल 1999, 2004 और 2009 में कानपुर सांसद रह चुके हैं।

सीट की पृष्ठभूमि: कानपुर को ब्राह्मणों का गढ़ कहा जाता है। चुनाव में यहां के ब्राह्मण मतदाता न सिर्फ प्रत्याशियों को जिताकर संसद पहुंचाते हैं बल्कि जीत का पूरा ताना-बाना बुनते हैं। शुरुआती आठ लोकसभा चुनाव में इसका दबदबा भी नजर आया जब यहां से जीत कर संसद पहुंचने वाले छह सांसद ब्राह्मण प्रत्याशी थे।

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फतेहपुर राकेश सचान

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व सांसद राकेश सचान ने हाल ही सपा से बगावत कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली, जिसके बाद कांग्रेस से टिकेट दिया है।

बता दें कि राकेश सचान 2009 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर से सांसद चुने गए थे। राकेश सचान मुलायम सिंह और शिवपाल के करीबी माने जाते हैं। राकेश सचान की राजनीती में एंट्री शिवपाल सिंह यादव ने कराई थी। राकेश सचान 1993 और 2002 में घाटमपुर विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। शिवपाल सिंह यादव के कहने पर ही राकेश सचान को 2009 में फतेहपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। राकेश सचान ने बसपा के महेंद्र प्रसाद निषाद को लगभग एक लाख वोटों से हरा कर जीत दर्ज की थी।

2014 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राकेश सचान को 306270 वोटो से हराया था। राकेश सचान फतेहपुर में तीसरे स्थान पर रहे थे और बसपा के अफजल सिद्दकी दूसरे स्थान पर रहे थे।

बहराइच से सावित्री बाई फूले:

हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुईं सांसद सावित्री बाई फुले को उनकी सीट बहराइच से ही कांग्रेस ने टिकट दिया है। उन्होंने हाल ही में भाजपा छोड़ी थी। इससे पहले इस सीट पर साल 2004 में सपा के रुबाब सायदा और साल 2009 में कांग्रेस के ही कमल किशोर सांसद थे। 2014 में भी उनको ही चुनाव के लिए टिकट दिया गया था, लेकिन वे चौथे नम्बर पर रहे हैं। 

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संत कबीरनगर से परवेज खान

कांग्रेस ने संतकबीनगर लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष परवेज खान को टिकट दिया है। साल 2013 से लगातार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष है। इससे पूर्व वह 2010 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। 2009 में सदस्यता अभियान के प्रभारी रहे। इसके साथ ही खेसरहा विधान सभा के चुनाव संचालक और सांथा ब्लॉक के उपाध्यक्ष भी रह चुके है। इनके पिता जमील अहमद खान भी कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष रह चुके है।

वर्तमान में शरद त्रिपाठी यहाँ से सांसद हैं। इससे पहले इस सीट पर 2009 में बसपा के भीष्म शंकर उर्फ कौशल काबिज थे।

इस सीट का समीकरण: अगर इस सीट पर नजर डाले तो इसमें 78 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है और 22% आबादी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. धर्म के आधार पर देखा जाए तो 76% आबादी हिंदुओं की है जबकि मुस्लिमों की आबादी 24% है.

बांसगांव से कुश सौरभ

इस सीट पर भाजपा के कमलेश पासवान वर्तमान में सांसद हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर जिसे अपना उम्मीदवार चुना है वो एक आईपीएस अफसर हैं, जिन्होंने जनवरी में वीआरएस लेकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। कुश सौरभ गोरखपुर के रहने वाले हैं।

इस सीट की पृष्ठभूमि: बांसगांव लोकसभा सीट पर 1962 से अब तक हुए 14 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 6 बार चुनाव जीत चुकी है जबकि बीजेपी ने 1991 ने यहां से जीत का अपना खाता खोला था, तब बीजेपी के राज नारायण सांसद बने थे। उसके बाद 2009 से लगातार 2 बार बीजेपी यहां से चुनाव जीत रही है।

यह सीट ओम प्रकाश पासवान के लिए भी जानी जाती है, जिनकी हत्या के बाद उनकी पत्नी सुभावती पासवान (1996) यहां से सांसद बनीं। इसके बाद उनके बेटे कमलेश पासवान लगातार 2 बार (2009 और 2014) से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं।

2009 में इस लोकसभा क्षेत्र से जीत भाजपा के कमलेश पासवान की हुई थी, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी थे 2004 के सांसद महावीर प्रसाद, जो कि 2009 में चौथे नम्बर पर रहे।

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लालगंज से पंकज मोहन सोनकर

इस सीट से अभी भाजपा की प्रत्याशी नीलम सोनकर सांसद है, जिन्होंने 2014 में समाजवादी पार्टी की सरोज को कड़ा मुकाबला दिया दिया।

2009 में बहुजन समाज पार्टी के बालीराम चुनाव जीते थे, वहीं इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस 1984 के बाद से कभी सत्ता में नहीं आई और न ही कभी अन्य दलों को टक्कर देने लायक कोई प्रत्यासी ही उतार पाई

मिर्जापुर से ललितेश पति त्रिपाठी

वर्तमान में इस सीट से अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल सांसद है, वहीं इस सीट पर अपना दल से पहले सपा और बसपा का परचम रहा है।

मिर्जापुर से कांग्रेस के प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कमलापति त्रिपाठी प्रपौत्र हैं। 2104 में भी ललितेश ने अनुप्रिया पटेल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 152666 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। ललितेश मिर्जापुर के मडि़हान विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे चुके हैं।

मिर्जापुर में 2009 में सपा के बाल कुमार पटेल जीते थे, वहीं 1984 के बाद से कांग्रेस इस सीट पर कभी नहीं जीत स्की, हालाँकि 2014 में तीसरे नम्बर की पार्टी रही।

रॉबर्टगंज से भगवती प्रसाद चौधरी

कांग्रेस की तरफ से राबटर्सगंज से भगवती प्रसाद चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है। राबट्र्सगंज उम्मीदवार बनाए गए भगवती प्रसाद चौधरी मूल रूप से मिर्जापुर नगर के सबरी के रहने वाले हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राबटर्सगंज सुरक्षित सीट से भाग्य आजमाया था जिसमें 86 हजार वोट प्राप्त हुए थे। भगवती कांग्रेस के पुराने नेता हैं और 1985 में विधायक भी रहे। इसके अलावा मिर्जापुर में दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे हैं। भगवती के पिता पुरुषोत्तम दास चौधरी मिर्जापुर में चार बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे।

राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से इस वक्त भाजपा के छोटेलाल सांसद हैं। साल 2014 में ये सीट भाजपा ने बसपा को हराकर जीती थी। ध्यान देने वाली बात ये हैं कि कांग्रेस को आखिरी बार यहां से 1984 में जीत मिली थी और इसके बाद उसे इस क्षेत्र से कभी जीत नसीब नहीं हुई।

2009 में इस क्षेत्र से एसपी के पकौड़ी लाल की जीत हुई थी, 1984 में कांग्रेस की जीत के बाद से अन्य किसी चुनाव में उनका प्रत्याशी नहीं जीत सका।

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