देवताओं की अदृश्य मौजूदगी में काशी में मनायी जाती है देव दीपावली

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दीपावली के 15 दिनों बाद मनाई जाने वाली देव दीपावली के लिए काशी सजने लगी है। मुख्य समारोह 4 नवंबर को मनाया जायेगा। आज शाम से संगीत, गायन आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से देव दीपावली का चार दिनी महोत्सव शुरू हो गया। मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवता स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक आकर दिवाली मनाते हैं। इस दिन काशी के 84 घाट असंख्य दीपों से सजाए जाते हैं। असंख्य दीपों की कतार और इस पर्व की भव्यता को निहारने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु काशी आते हैं।

सीएम योगी करेंगे शिरकत

माना जा रहा है सरकार अयोध्या की तर्ज पर इस साल काशी में देव दीवापली के लिए खास आयोजन करेगी। देव दीपावली में आयोजित इस कार्यक्रम में खुद प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पूरे कुनबे के साथ शिरकत करेंगे।

यह है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार के मुताबिक, तीनों लोक त्रिपुरासुर दैत्य के आतंक से आतंकित था। देवताओं पर अत्याचार और उनके तप को रोकने के लिए त्रिपुरासुर ने स्वर्ग लोक पर भी अपना कब्जा जमा लिया था। त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तप किया था। उसके तप से तीनों लोक जलने लगे, तब ब्रह्मा ने उसे दर्शन दिया।

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त्रिपुरासुर ने उनसे वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव ,जंतु, पक्षी, निशाचर न मार पाएं। इसी वरदान से त्रिपुरासुर अमर हो गया था।विष्णु ने भी त्रिपुरासुर से लड़ने के लिए मना कर दिया था, क्योंकि कोई भी देव उसकी मृत्यु का कारण नहीं बन सकता था। विष्णु के कहने पर देवता ब्रह्मा जी से मिले। ब्रह्मा जी ने देवताओं को त्रिपुरासुर के अंत का रास्ता बताया।

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देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर को मारने के लिए प्रार्थना की। तब महादेव ने त्रिपुरासुर के वध का फैसला किया। महादेव ने तीनों लोकों में दैत्य को ढूंढ़ा। चतुर त्रिपुरासुर को ये पता चल चुका था कि महादेव उसे तलाश रहे हैं।कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया। उसी दिन देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में आकर दीपावली मनाई।

तभी से ये परंपरा काशी में चली आ रही है।देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में भी मिलता है। मान्यता यह भी है कि काशी के गंगा घाट पर इस दिन देव लोक के सारे देवी देवता अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं और इस आध्यात्मिक पल के गवाह देशी ही नहीं विदेशी सैलानी भी होते हैं ।

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