कोरोना ने टोक्यो ओलंपिक पर लगा दिया ग्रहण

ओलंपिक के आयोजन का टलना जापान के लिए तगड़ा झटका है, क्या उसका उत्साह आगे भी बना रहेगा?

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आखिरकार कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के आगे हार माननी पड़ी। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति, टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति और जापान सरकार ने टोक्यो ओलंपिक खेलों को एक साल के लिए स्थगित कर दिया है। ये खेल अगले साल भी कब होंगे, यह स्पष्ट नहीं है। आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाख ने कहा है कि अगले वर्ष संभवत: जुलाई-अगस्त में यह आयोजन हो। वैसे आयोजन अगले साल की शुरुआत में भी संभव है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ओलंपिक खेलों को टालने के फैसले से कुछ ही दिन पहले चार हफ्ते में फैसले की बात कही थी, लेकिन उससे पहले ही उसे फैसला करना पड़ा। उधर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने खेलों में भाग न लेने का फैसला कर लिया। अमेरिकी ओलंपिक समिति ने भी खेलों को स्थगित करने का समर्थन किया। इसलिए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाख के सामने खेलों को टालने का प्रस्ताव रखा और वह इससे सहमत हो गए। शिंजो आबे ने स्वीकार किया कि खेलों को स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

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इस घोषणा से हफ्ते भर पहले ही क्योदो न्यूज ने जापानी खिलाड़ियों के बीच एक सर्वे कराया था, जिसमें 70 प्रतिशत खिलाड़ियों को समय पर ओलंपिक आयोजन की उम्मीद नहीं थी। ऐसा लगता है, फैसला लेने में देरी के पीछे वह करार था, जो मेजबान शहर और आयोजकों के बीच हुआ था। करार के मुताबिक, एक पक्ष दूसरे पक्ष की सहमति के बिना यदि करार तोड़ता है, तो उस पर अरबों डॉलर के मुआवजे की जिम्मेदारी आ जाती है। इसलिए आयोजन समिति ने सरकार व आईओसी के फैसलेका इंतजार किया। ओलंपिक खेलों का स्थगन जापान के लिए बड़ा झटका है। असल में, 2011 में आए भूकंप, सुनामी और फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना से जापान को जन-धन का भारी नुकसान हुआ था। इन खेलों के माध्यम से वह यह दिखाना चाहता था कि जापान उस तिहरी त्रासदी से उबर गया है।

इससे पहले 1916, 1940 व 1944 में ओलंपिक खेल रद्द हुए थे। तब ये खेल प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से रद्द हुए थे। हालांकि तब ओलंपिक आयोजन में इतनी धनराशि दांव पर नहीं लगी होती थी। अब फैसले इसके आर्थिक पक्ष को देखकर होते हैं। आईओसी ने साल 2016 से लेकर 2019 तक टोक्यो ओलंपिक के लिए 5.7 अरब डॉलर का राजस्व हासिल किया है। इस राशि का 73 प्रतिशत हिस्सा मीडिया राइट्स बेचने से आया है।

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बेशक, जापान ने टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों को लेकर हर तरफ से सराहना हासिल की है। जापान ने स्टेडियमों और अन्य सुविधाओं को काफी पहले तैयार कर दिया था। इन खेलों के टिकट बड़ी संख्या में बिक चुके थे, लेकिन अब सवाल यह है कि जापान जिस जोश के साथ आयोजन में जुटा था, क्या वह आगे कामयाब आयोजन कर पाएगा? असल में, खेल के स्थगित होने के बाद आयोजकों के सामने तमाम तरह की समस्याएं आने वाली हैं। पहले उन्होंने जो बड़ी मात्रा में टिकट बेच दिए हैं, उनका क्या होगा? यह काम उसे नए सिरे से करना होगा। आयोजकों ने काफी पहले से होटलों में हजारों कमरे बुक करा रखे हैं, क्या अगले साल भी इतने ही कमरे उपलब्ध हो पाएंगे? इसी तरह, टोक्यो ओलंपिक खेल गांव में बने अपार्टमेंट्स को खेल समाप्ति के बाद साल के आखिर तक बेचा जाना था। अब खेल गांव का क्या होगा, यह भी बड़ा सवाल है। हां, इतना जरूर है कि आयोजन समिति को सरकार का पूरा समर्थन हासिल है, तो इन समस्याओं पर पार पाया जा सकता है।

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[bs-quote quote=”(यह लेखक के अपने विचार हैं, यह लेख हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित है।)” style=”style-13″ align=”left” author_name=”मनोज चतुर्वेदी” author_job=”वरिष्ठ खेल पत्रकार” author_avatar=”https://journalistcafe.com/wp-content/uploads/2020/03/manoj-chaturvedi.jpg”][/bs-quote]

जापान सरकार पहले ही अपने बजट से दस गुना ज्यादा खर्च कर चुकी है। अब खेलों के स्थगित होने पर छह अरब डॉलर और खर्च होने की आशंका है। कोरोना महामारी ने सभी देशों की अर्थव्यवस्था को झकझोरकर रख दिया है। जापान भी इससे अछूता नहीं है। कहा जा रहा है कि जापानी विकास दर पहले ही 2020 में 0.5 प्रतिशत आंकी जा रही थी, अब खेलों के स्थगित होने पर इसके नकारात्मक होने की आशंका है। खेलों के स्थगन से खिलाड़ियों को भी अपनी तैयारियों को लगातार जारी रखना होगा। खैर, सबको इंतजार करना होगा कि कोरोना का ग्रहण हटे और आलंपिक का आयोजन हो।

 

 

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